1971 के युद्ध में पाक की आलोचना से अमरीका-चीन वार्ता टूट गई होती:किसिंजर

Edited By ,Updated: 26 Nov, 2016 04:01 PM

henry kissingers stunning revelations about pakistan

अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने कहा है कि यदि अमरीका ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकार...

वाशिंगटन:अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने कहा है कि यदि अमरीका ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों और प्रताड़ना की सरेआम निंदा की होती तो अमरीका और चीन के बीच वार्ता का पाकिस्तानी माध्यम टूट गया होता।

‘द अटलांटिक’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में किसिंजर ने कहा कि उस वक्त अमरीका ने चीन के साथ कई अति गोपनीय बातचीत की थी और एक सफलता हासिल करने के कगार पर था।यह उस वक्त की बात है जब मार्च 1971 में बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम शुरू हुआ था।किसिंजर ने कहा कि ये बातचीत पाकिस्तान के माध्यम से हुई, जो चीन और अमरीका के लिए सर्वाधिक स्वीकार्य वार्ताकार के रूप में उभरा था।उन्होंने कहा कि इन उल्लंघनों की सरेआम निंदा से पाकिस्तानी माध्यम टूट गया होता।उस वक्त अमरीका में निक्सन प्रशासन था।

किसिंजर ने बताया,‘‘...हम सरेआम प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर सके।लेकिन हमने हालात के हल के लिए काफी मात्रा में भोजन उपलब्ध कराया और कूटनीतिक कोशिशें की।’’किसिंजर ने बताया कि पाकिस्तान के जरिए चीन से बातचीत के बाद अमरीका ने धीरे धीरे पाकिस्तान से अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश को स्वायत्ता प्रदान करे। बांग्लादेश को स्वतंतत्रता देने के लिए नवंबर में पाकिस्तान के राष्ट्रपति निक्सन के साथ इस बात पर सहमत हुए।दिसंबर में भारत ने सोवियत संघ के साथ सैन्य प्रावधान सहित एक संधि की और शरणार्थी संकट से निपटने के लिए पूर्वी पाकिस्तान में कार्रवाई की।

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