सिंगापुर में शीर्ष कारोबारी नेता ने कहा- वैश्विकअर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका के साथ हिंदी का भी महत्व बढ़ा

Edited By Tanuja,Updated: 30 Sep, 2024 03:50 PM

hindi s role to grow with india s global impact singapore business leaders

सिंगापुर के एक शीर्ष कारोबारी नेता Singapore business leader) ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था (  global economy) में भारत की...

 

International Desk: सिंगापुर के एक शीर्ष कारोबारी नेता Singapore business leader) ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था (  global economy) में भारत की भूमिका के साथ हिंदी (Hindi) का महत्व भी बढ़ा है और अत्याधुनिक तकनीक के साथ हिंदी के मेल ने कारोबार के क्षेत्र में भारत में 57.2 करोड़ और विश्व में 50 करोड़ हिंदी भाषियों के लिए संभावनाओं के द्वार खोले हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें पहले अछूते रहे विशाल बाजारों में प्रवेश करने का अवसर मिलता है। ‘सिंगापुर इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' के अध्यक्ष नील पारेख ने कहा, ‘‘हम डिजिटलीकरण की दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं, जहां संस्कृति और बाजारों के बीच सीमाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं और भाषा लोगों, विचारों एवं अवसरों को जोड़ने वाले अहम सेतु के रूप में उभरी है।''

 

सप्ताहांत में आयोजित ‘‘वैश्विक हिंदी उत्कृष्टता शिखर सम्मेलन - 2024'' की थीम ‘‘नवाचार के युग में हिंदी की उत्कृष्टता'' थी, जिसका आयोजन सिंगापुर स्थित ‘ग्लोबल हिंदी फाउंडेशन' ने किया था। पारेख ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में तेजी से उभरते भारत में काम करने के लिए हिंदी भाषा के ज्ञान के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। पारेख सिंगापुर में संसद के मनोनीत सदस्य भी हैं। निवेश-केंद्रित उद्यमी पारेख ने कहा, ‘‘हिंदी सिर्फ संचार की भाषा नहीं है बल्कि यह गहरी सांस्कृतिक समझ के लिए एक सेतु है। इससे हमें भारतीय बाजार में प्रवेश का मौका मिलता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने की इच्छा रखने वाले निगमों और एसएमई (लघु एवं मध्यम उद्यमों) के लिए उत्कृष्ट संभावनाएं प्रदान करता है।''

 

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसे वैश्विक स्तर पर 50 करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं। भारत में 57.2 करोड़ से अधिक लोग सिर्फ हिंदी बोलते हैं। उन्नत प्रौद्योगिकियों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) भी भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने में एक शक्तिशाली उपकरण बन गई है और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाया जा रहा है। सिंगापुर स्थित वित्तीय सलाहकार मंदार पाध्ये ने भाषाओं विशेषकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के प्रयासों का उल्लेख किया, जो देश के अधिकांश स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली भाषाओं में से एक है। पाध्ये ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अंग्रेजी भाषा का ज्ञान जरूरी है तथा इसके बाद जिन दो भाषाओं का ज्ञान आपको होना चाहिए, वे हैं हिंदी और चीनी (मंदारिन), क्योंकि अगली पीढ़ी के नेता ऐसी जगहों से आ रहे हैं जहां ये भाषाएं बोली जाती हैं।''

 

पाध्ये की हालिया पुस्तक ‘द रिजिलिएंट इन्वेस्टर' में मानव-से-मानव संबंधों पर प्रकाश डाला गया है जो निरंतर विकसित होते वित्तीय परिदृश्य में व्यावसायिक विकास और व्यक्तिगत विकास के बीच विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी एक अहम भाषा होगी क्योंकि कई कारोबारी नेता भारतीय समुदाय से आते हैं और इनमें से कई की मातृभाषा हिंदी है। निवेश सलाहकार ने कहा कि इसलिए भारत में मौजूद विदेश कार्यकारियों के लिए हिंदी का बेहतर ज्ञान जरूरी हो जाता है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में देश अहम भूमिका निभा रहा है। करीब 300 प्रतिभागियों के साथ हिंदी पर अपने विचार साझा करने के लिए सिंगापुर पहुंचीं इंदौर में ‘प्री-एग्जामिनेशन ट्रेनिंग सेंटर' की प्राचार्य अलका भार्गव ने कहा कि उनका मानना ​​है कि वैश्विक मंच पर हिंदी को और अधिक बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक संयुक्त प्रयास किए जाने चाहिए। साथ ही उन्होंने हिंदी को मुख्य भाषा के रूप में प्रचारित करने के लिए शिक्षण कार्यक्रमों का आह्वान किया।

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