ऑस्ट्रेलिया में तेजी से फैल रहा हिंदू और इस्लाम धर्म, जनगणना में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

Edited By Yaspal,Updated: 04 Jul, 2022 07:36 PM

hinduism and islam are spreading rapidly in australia

ऑस्ट्रेलिया में नई जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं। इन आंकड़ों में कई चौकानें वाली जानकारियां सामने आई हैं। इनमें हिंदू धर्म और वहां रह रहे भारतीयों की स्थिति को लेकर भी कई जानकारियां निकलकर सामने आई हैं

इंटरनेशनल डेस्कः ऑस्ट्रेलिया में नई जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं। इन आंकड़ों में कई चौकानें वाली जानकारियां सामने आई हैं। इनमें हिंदू धर्म और वहां रह रहे भारतीयों की स्थिति को लेकर भी कई जानकारियां निकलकर सामने आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में हिंदू और इस्लाम धर्म तेजी से बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया में हर पांच साल में जनगणना होती है, जिसके आंकड़े पिछले सप्ताह जारी किए गए।

नई जनगणना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की आबादी ढाई करोड़ से ज्यादा हो गई है। वहां की आबादी अब दो करोड़ 55 लाख हो गई है, जो 2016 में दो करोड़ 34 लाख थी। यानी पिछले पांच सालों में वहां की आबादी में 21 लाख की वृद्धि हुई है। वहीं देश की औसत आमदनी भी थोड़ी बढ़ी है। जनगणना के आँकड़ों से आने वाले वक़्त में देश को आकार देने में मदद करने वाली प्रवृत्तियों का भी पता चलता है।

ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि देश में ख़ुद को ईसाई बताने वालों की संख्या 50 फीसदी से कम हो गई है। ऑस्ट्रेलिया ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स (एबीएस) के अनुसार, अब ऑस्ट्रेलिया में केवल 44 फीसदी ईसाई रह गए हैं। वहीं लगभग 50 साल पहले ईसाइयों की आबादी क़रीब 90 फ़ीसदी थी। हालांकि देश में ईसाई धर्म को मानने वालों की तादाद अभी भी सबसे ज्यादा है, लेकिन उसके बाद दूसरे नंबर पर ऐसे लोगों की संख्या है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते हैं।

देश में किसी भी धर्म को नहीं मानने वाले लोगों की संख्या बढ़कर अब 39 फ़ीसदी हो गई है और इस तरह "नो रिलीजन" वाले लोगों की तादाद में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हिंदू और इस्लाम अब ऑस्ट्रेलिया के सबसे तेजी से बढ़ते धर्म हैं। हालांकि इन दोनों धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या 3-3 ही प्रतिशत है। मगर पिछली बार की जनगणना से तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों धर्मों के लोगों की संख्या बढ़ रही है।

ऑस्ट्रेलिया अब पहले से कहीं ज्यादा विविध बन रहा है। आधु​निक ऑस्ट्रेलिया का निर्माण आप्रवासन (बाहर से आकर बसना) से हुआ है। हालांकि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की आधी से ज्यादा आबादी या तो विदेशों में पैदा हुई है या उनके माता पिता विदेशों में पैदा हुए हैं। कोरोना महामारी के दौरान आप्रवासन की दर धीमी हुई, लेकिन पिछले पांच सालों के दौरान देश में 10 लाख से ज्यादा लोग दूसरे देशों से आ चुके हैं। इनमें से क़रीब एक चौथाई लोग भारत से वहां पहुंचे हैं।

नई जनसंख्या में वहाँ रहनेवाले ऐसे लोग जिनका जन्म किसी और देश में हुआ है, वहां भारत के लोगों ने चीन और न्यूज़ीलैंड को पीछे छोड़ दिया है। भारत वहां तीसरे नंबर पर है। ऑस्ट्रेलिया में अभी सबसे ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की है जिनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ है, उसके बाद ऐसे लोग हैं जिनका जन्म इंग्लैंड में हुआ है। इन दोनों देशों के बाद तीसरा नंबर ऐसे लोगों का है जिनका जन्म भारत में हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में 20 फ़ीसदी से ज्यादा लोग अपने घरों में अंग्रेज़ी से इतर कोई और भाषा बोलते हैं। 2016 से ऐसे लोगों की तादाद में क़रीब 8 लाख की वृद्धि हुई है। अंग्रेज़ी के इतर बोली जाने वाली भाषाओं में सबसे प्रचलित चीनी या अरबी है।

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