अध्ययन: घटती जा रही पुरुषों की प्रजनन क्षमता, ये हैं बड़े कारण

Edited By Tanuja,Updated: 10 Oct, 2018 02:58 PM

human race may face extinction as sperm quality continues to fall in

दुनिया भर में केमिकल्स, प्रदूषण और मॉडर्न लाइफस्टाइल का सबसे अधिक असर  पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स की मानें तो मेल फर्टिलिटी यानी पुरुषों की प्रजनन क्षमता हर साल लगातार कम हो रही है...

न्यू जर्सी:  दुनिया भर में केमिकल्स, प्रदूषण और मॉडर्न लाइफस्टाइल  का सबसे अधिक असर पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स की मानें तो मेल फर्टिलिटी यानी पुरुषों की प्रजनन क्षमता हर साल लगातार कम हो रही है । इस बात का खुलासा अमेरिका और यूरोप में फर्टिलिटी क्लिनिक में आने वाले करीब 1 लाख 24 हजार पुरुषों पर की गई स्टडी में हुआ है । 
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अध्ययन के अनुसार, पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी में हर साल 2 प्रतिशत की दर से गिरावट देखी जा रही है। साथ ही, एक अलग रिसर्च भी की गई, जिसमें 2 हजार 600 स्पर्म डोनर्स पर फोकस किया गया था। इसमें वैसे पुरुष शामिल थे, जिनकी फर्टिलिटी सामान्य से थोड़ी अधिक थी। इस रिसर्च में भी अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसा ही पैटर्न देखा। वैसे तो ज्यादातर पुरुष अब भी बच्चे को जन्म दे सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, यानी स्पर्म की क्वालिटी में लगातार गिरावट आती रहती है तो ह्यूमन रेस यानी इंसान का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। पिछले साल यानी 2017 में भी ऐसी ही एक स्टडी हुई थी, जिसमें पश्चिमी देशों में 1973 से 2011 के बीच स्पर्म की क्वालिटी और क्वान्टिटी में 59 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। PunjabKesari
इस स्टडी में बताया गया है कि वातावरण में मौजूद पेस्टिसाइड्स, हॉर्मोन्स को डिस्टर्ब करने वाले केमिकल्स, स्ट्रेस यानी तनाव, स्मोकिंग और मोटापे की वजह से स्पर्म की क्वालिटी और क्वान्टिटी यानी गुणवत्ता और संख्या में कमी देखी जा रही है। इन वजहों के अलावा शराब, कैफीन और प्रोसेस्ड मीट का सेवन भी स्पर्म की संख्या में कमी के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों की मानें तो टेस्टिक्युलर कैंसर की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। साथ ही, बड़ी संख्या में ऐसे लड़के पैदा हो रहे हैं, जिनके एक या दोनों टेस्टिकल मिसिंग होते है और उनके टेस्टोस्टेरॉन लेवल में भी लगातार बदलाव हो रहा है। 

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अमेरिका के न्यू जर्सी और स्पेन के वैलेन्सिया के वैज्ञानिकों ने पहली बार लार्ज स्केल स्टडी की, जिसमें स्विमिंग स्पर्म यानी कुल गतिशील स्पर्म की संख्या पर स्टडी की गई। इस स्टडी में शामिल पुरुषों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया था। लो स्पर्म काउंट, मीडियम स्पर्म काउंट और हाई स्पर्म काउंट। हाई स्पर्म काउंट वाले ग्रुप में शामिल पुरुषों के गतिशील स्पर्म की संख्या में हर साल 1.8 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है। इस स्टडी की को-ऑथर डॉ जेम्स होटैलिंग कहती हैं, "इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले समय में और ज्यादा पुरुष बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो जाएंगे, यह एक चिंता की बात है।" 
 

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