Edited By Tanuja,Updated: 30 Oct, 2018 07:18 PM
इंसानों की गलती से बढ़ रही ग्वोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया में वाइल्ड लाइफ तबाही की कगार पर है। कई जानवर विलुप्त हो गए हैं। यह खुलासा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले समूह WWF ने अपनी रिपोर्ट में किया है
इंटरनैशनल डैस्कः इंसानों की गलती से बढ़ रही ग्वोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया में वाइल्ड लाइफ तबाही की कगार पर है। कई जानवर विलुप्त हो गए हैं। यह खुलासा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले समूह WWF ने अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इंसानों की भूख बढ़ती जा रही है जबकि धरती के पास अब उतने संसाधन नहीं बचे हैं । WWF की 'लिविंग प्लैनेट' रिपोर्ट में कहा गया है कि 1970 से 2014 के बीच इंसान की गलतियों की वजह से रीढ़ की हड्डी वाले करीब 60 प्रतिशत जीव खत्म हो गए। इनमें मछलियां, पक्षी, कई उभयचर जीव, रैप्टाइल और स्तनधारी जीव शामिल हैंष। इस रिपोर्ट के लिए WWF ने पूरी दुनिया में जानवरों की करीब 4000 प्रजातियों का सर्वे किया है।
WWF के इंटरनेशनल डायरेक्टर जनरल मार्को लैम्बरटिनी ने का कहना है कि स्थिति बेहद खराब है और यह बदतर होती जा रही है। सिर्फ एक अच्छी बात यह है कि हमें पता है कि असल में क्या हो रहा है।" रिपोर्ट के मुताबिक, इन 44 सालों में जल में रहने वालों की संख्या में 80 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। क्षेत्रवार बात करें तो इसका सबसे अधिक असर अमेरिका में हुआ है जहां इस दौरान वाइल्ड लाइफ में 90 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस दौरान बड़ी संख्या में जानवर विलुप्त हुए हैं।रिपोर्ट के मुताबिक जानवरों की विलुप्ति की दर कुछ सौ साल पहले की तुलना में 100 से 1000 गुना अधिक है।80 पन्ने की इस रिपोर्ट को 59 लेखकों ने मिलकर तैयार किया है। इनमें से एक पियेरो वस्कॉन्टी कहते हैं कि आंकड़े डराने वाले हैं। जनसंख्या घटने और विलुप्ति में अंतर है। विलुप्त होने पर जानवरों की वापसी का कोई रास्ता नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि मानव ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोककर रख पाते हैं तो भी कोरल मोर्टालिटी (समुद्री जीवों की मौत) 70 से 90 प्रतिशत रहने की संभावना है।