Edited By ,Updated: 10 Feb, 2016 03:03 PM
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से महज 25 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एेसी सैकड़ों आकाशगंगाआें की खोज की है जो अब तक हमारी आकाशगंगा के ‘मिल्की वे’ के पीछे छिपी ...
मेलबर्न:वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से महज 25 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एेसी सैकड़ों आकाशगंगाआें की खोज की है जो अब तक हमारी आकाशगंगा के ‘मिल्की वे’ के पीछे छिपी हुई थीं । इस खोज से ‘ग्रेट अट्रैक्टर’ के तौर पर जानी जाने वाली रहस्यमयी गुरूत्वाकर्षणीय अनियमितता और लाखों अरबों सूर्य के बराबर गुरूत्वाकर्षणीय बल वाले सैकड़ों हजारों अन्य आकाशगंगाआें को जानने में मदद मिलेगी ।
ऑस्ट्रेलिया में ‘कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन’ (सीएसआईआरआे) के एक उन्नत रिसीवर से लैस पाक्र्स रेडियो टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिक तारों और मिल्की वे के गुबार के पार भी देखने में सक्षम रहे। ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च’ (आईसीआरएआर) के केंद्र ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया’ के प्रोफेसर लिस्टर स्टेवली-स्मिथ के मुताबिक, टीम ने 883 आकाशगंगाआें का पता लगाया जिसकी एक तिहाई को इससे पहले कभी नहीं देखा गया था ।
स्टेवली-स्मिथ ने बताया कि वैज्ञानिक 1970 और 1980 के दशक में ब्रह्मांड विस्तार के कारण हुए प्रमुख विचलन के बाद से रहस्यमयी ‘ग्रेट अट्रैक्टर’ की तह तक पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं । उन्होंने बताया, ‘‘वास्तव में हमलोग अब तक यह समझ नहीं पाए हैं कि आकाशगंगा पर गुरूत्वाकर्षण में वृद्धि का कारण क्या है या यह कहां से आता है ।’’ उन्होंने बताया, ‘‘हमें मालूम है कि इस क्षेत्र में आकाशगंगाआें के कुछ बहुत बड़े समूह हैं जिन्हें हम झुंड या महाझुंड कह सकते हैं और हमारी पूरी आकाशगंगा 20 लाख किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की गति से उनके इर्द गिर्द घूम रही है।’’