ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन के विरोध में आए इमाम, मुसलमानों से की न लगवाने की अपील

Edited By Yaspal,Updated: 29 Aug, 2020 07:27 PM

imams protesting against the vaccine being made by oxford university

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित की जा रह कोरोना वैक्सीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसकी तकनीकी वजह से कई धार्मिक नेता इसके विरोध में आ गए हैं। अब ऑस्ट्रेलिया में एक इमाम ने इस वैक्सीन को हराम बताते हुए मुसलमानों से इसे न लगवाने की अपील की...

इंटरनेशनल डेस्कः ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित की जा रह कोरोना वैक्सीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसकी तकनीकी वजह से कई धार्मिक नेता इसके विरोध में आ गए हैं। अब ऑस्ट्रेलिया में एक इमाम ने इस वैक्सीन को हराम बताते हुए मुसलमानों से इसे न लगवाने की अपील की है। सुलयान खलीफा ने हाल ही में एक वीडियो के जरिए अपने फॉलोअर्स से यह अपील की है।

डेली मेल की एक खबर के मुताबिक, इमाम ने इसे हराम बताते हुए उन मुस्लिमों पर निशाना साधा जो इसे लगवाने के पक्ष में हैं। खलीफा ने कहा, ''उन मुस्लिम संस्थाओं को शर्म आनी चाहिए जो वैक्सीन के इस्तेमाल को सही ठहरा रहे हैं। इसके लिए फतवा साइन करने वाले इमामों को शर्म आनी चाहिए। कैथोलिक साफ तौर पर इसके खिलाफ खड़े हुए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि यह हराम है। यह अवैध है। लेकिन आप सरकार के साथ खड़े हैं। धर्म के खिलाफ जो सरकार के साथ खड़े हैं उन्हें शर्म आए।''

कुछ और धार्मिक नेताओं ने भी हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन कैंडिडेट की नीतिगत चिंताएं जाहिर की हैं, जिसे 1970 में हुए गर्भपात के भ्रूण सेल्स का इस्तेमाल करते हुए बनाया गया है। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने सफल ट्रायल के बाद ऑक्सफोर्ड वैक्सीन लोगों को उपलब्ध कराने के लिए मैन्युफैक्चरर एस्ट्राजेनिका के साथ करार किया है। 

सिडनी कैथोलिक आर्कपिशप, सिडनी एंजलिकन आर्कबिशप और ग्रीक ऑर्थोडोक्स आर्कबिशप ने प्रधानमंत्री को लेटर लिखकर डील पर दोबारा विचार करने की मांग की है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है वह भ्रूण सेल्स के जरिए विकसित किया जाता है, जिसे दवा की पैकेजिंग से पहले निकाल दिया दिया जाता है।  

सेल्स को 1973 में नीदरलैंड्स में हुए एक वैध गर्भपात से लिया गया गया, जिसके बाद बदलाव किया गया ताकि लैब में सेल्स लगातार डिवाइड होते रहें, इसलिए नई कोशिकाओं के स्रोत की कोई आवश्यकता नहीं है। कुछ धार्मिक नेताओं का दावा है कि यह तकनीक अनैतिक है और उन्होंने पीएम से विकल्पों पर विचार करने को कहा है। हालांकि, कुछ अन्य धार्मिक नेताओं ने कहा है कि मानव जीवन की रक्षा आवश्यक है और इस वैक्सीन के इस्तेमाल में कोई बुराई नहीं है।

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