अलविदा 2021: इमरान व सेना के बीच गहरी हुई दरार, PM खान की मुश्किलें बढ़ाएगा 2022 साल

Edited By Tanuja,Updated: 29 Dec, 2021 06:00 PM

imran khan s hybrid regime in pakistan crumbling

खैबर पख्तूनख्वा के स्थानीय चुनावों में इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी की हार सैन्य प्रतिष्ठान और सत्तारूढ़ दल ...

इस्लामाबाद: साल 2021 पाकिस्तान के लिए काफी संकट भरा रहा। देश बुरी तरह कर्ज के जाल में धंसता चला गया और इमरान सरकार देश को मंदहाली के सबसे बुरे दौर में धकलने वाली साबित हुई। अब आने वाला नया साल  2022 पाकिस्तान की राजनीति के लिए बेहद उथलपुथल वाला व इमरान सरकार के लिए   चुनौतियों भरा होने वाला है। इसका कारण है सेना और इमरान खान सरकार के बीच बढ़ती खाई। सेना को आंखें दिखाने का नतीजा इमरान की पार्टी हाल ही में हुए खैबर पख्तूनख्वा के स्थानीय चुनावों में हार के रूप में भुगत भी चुकी है।

 

खैबर पख्तूनख्वा चुनाव में  हार ने दिखाए इमरान को तारे
जानकारों की मानें तो खैबर पख्तूनख्वा के स्थानीय चुनावों में इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी की हार सैन्य प्रतिष्ठान और सत्तारूढ़ दल के बीच दरार का एक स्पष्ट संकेत दिखाती है। द सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार इस्लामाबाद सिंहासन पर खान को सेना, विशेष रूप से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा बिठाया गया था और इसे अक्सर हाइब्रिड शासन के रूप में जाना जाता है। लेकिन जो PTI की करारी हार के बाद इमरान खान की कुर्सी पर संकट के बादल बढ़ गए हैं। यह एक ऐसी हार थी जिससे खान को डर था लेकिन  खैबर पख्तूनख्वा में इसकी उम्मीद नहीं थी क्योंकि इस साल की शुरुआत में सैन्य प्रतिष्ठान के साथ उनके रिश्ते में खटास आने लगी थी। लेकिन सेना ने चुपचाप दूसरी तरफ देखा और पीटीआई उम्मीदवारों पर शिकंजा कसने दिया। हाइब्रिड शासन के भागीदारों के बीच लड़ाई का यह दूसरा दौर है।

 

सेना को नीचा दिखाना इमरान पर पड़ेगा भारी
पहली बार में इमरान खान ने ISI प्रमुख की नियुक्ति की घोषणा में जानबूझकर देरी कर सेना को नीचा दिखाया था। सेना प्रमुख इस साल की शुरुआत में आईएसआई के प्रमुखों में बदलाव चाहते थे। सेना ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को नया आईएसआई प्रमुख घोषित किया, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद, जिन्होंने सेना की ओर से चुनावी लड़ाई जीतने में इमरान खान की मदद की थी, को पेशावर कोर कमांडर के रूप में हटा दिया गया था। इमरान खान सेना प्रमुख की सिफारिश पर तब तक बैठे रहे जब तक कि अफवाहें और साजिश के सिद्धांत इतने मोटे नहीं हो गए कि एक कुंद चाकू से काटा जा सके। खान ने सभी विकल्पों पर विचार किया - सेना प्रमुख की सिफारिशों को अस्वीकार करने या उन्हें स्वीकार करने के लिए। उन्होंने तीसरा विकल्प चुना - आधिकारिक घोषणा में देरी। इससे पता चलता है कि वह अब जनरल जावेद बाजवा जैसी किताबों में नहीं थे। द सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सेना ने अपमान सहा और चुप रही।


सेना ने केपी चुनावों में इमरान को दिखाया ट्रेलर, पंजाब चुनाव में होगा बड़ा धमाका
केपी चुनावों में सेना ने अपना पूरा रंग दिखाया। PTI के जमीन पर इस तरह की हार के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक खेल की कुंजी बनी हुई है  2018 के चुनावों में इस्तेमाल की गई किसी भी चाल से दूर रहने का सेना का फैसला। इस 'हैंड्स ऑफ' नीति ने पीटीआई उम्मीदवारों को अपने दम पर लड़ने और बुरी तरह हारने के लिए छोड़ दिया। इमरान खान को अब जो चिंता है वह है पंजाब में आगामी स्थानीय चुनाव। सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट  के मुताबिक  पंजाब के स्थानीय चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने वाले हैं और  इसके परिणाम 2023 में बड़े चुनावों के लिए गेम चेंजर साबित होंगे । पंजाब चुनाव में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है और अगर ऐसा होता है तो भागीदारों के बीच अंतिम मुकाबले के लिए मंच तैयार है। तीसरे राउंड की खींचतान से पता चलेगा कि आखिर में कौन जीतता है। यह स्पष्ट है कि नया साल पाकिस्तान में दिलचस्प खेल का गवाह बनेगा, जिसकी शुरुआत पंजाब में चुनाव से होगी, जबकि देश बढ़ते कट्टरपंथ और वित्तीय कर्ज में डूबने के कगार पर है।

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