PM बनने के लिए काऊंटडाउन शुरू,  इमरान नहीं जुटा पा रहे बहुमत

Edited By Tanuja,Updated: 04 Aug, 2018 01:44 PM

imran may not get simple majority opposition parties alliance

पाकिस्तान में हुए 25 जुलाई को हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। इमरान के प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की बेशक तिथियों  की घोषणाएं की जा रही हैं...

इस्लामाबादः पाकिस्तान में हुए 25 जुलाई को हुए चुनाव में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। इमरान के प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की बेशक तिथियों  की घोषणाएं की जा रही हैं लेकिन उनके PM बनने की राह आसान नहीं लग रही है । पीएम बनने के लिए काऊंटडाउन शुरू हो चुका है  PTI को सरकार बनाने के लिए नेशनल असेंबली में बहुमत साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है क्योंकि   स्पष्ट बहुमत के लिए इमरान खान को नेशनल असेंबली के कुल सदस्यों के कम से कम 51 प्रतिशत वोटों की जरूरत है। 
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गौरतलब है कि इमरान खान की पार्टी  ने 116 सीटों पर जीत हासिल की है  जबकि पाकिस्तान की 342 सीटों वाली नेशनल असेंबली में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कुल 172 सीटों की जरूरत है।  पीटीआई नेतृत्व ने कम से कम 170 सांसदों के समर्थन मिलने का दावा किया है जिनमें निर्दलीय और गठबंधन की पार्टियों के नवनिर्वाचित सांसद शामिल हैं।  हालांकि बहुमत साबित करने के लिए इमरान की पार्टी (पीटीआई) के पास अभी एक हफ्ते का समय बाकी है और उन्हें उम्मीद है कि उनका कोई भी सांसद विपक्षी पार्टी का समर्थन नहीं करेगा। हालांकि, अब तक किसी विपक्षी दल या सदस्यों ने पीटीआई में शामिल होने के लिए विपक्षी गठबंधन नहीं छोड़ा है।
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विपक्षी गठबंधन जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N), पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) और मुताहिदा शामिल हैं। मजलिस-ए-अमल (एमएमए) ने पहले ही संसद के अंदर और बाहर इमरान खान और उनके समर्थक दलों का विरोध करने का फैसला किया है। पीएम पद के दावेदार इमरान खान को चुनौती देने के लिए PML-N और PPP  ने हाथ मिलाने का ऐलान किया है।  पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) के पास 64 और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के पास 43 सीटे हैं।हालांकि, कुछ छोटी पार्टियों के गठबंधन से इमरान खान के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर चुने जाने के कदम पर खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन इससे संसद में उनके पास सीटें कम हो जाएंगी, जिससे उनके लिए बहुमत साबित करना मुश्किल हो सकता है। 

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