सीमा विवाद को लेकर ‘शांतिपूर्ण बातचीत’ के पक्ष में भारत और चीन

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2016 12:12 PM

india and china aim for peaceful negotiations to settle border issue

भारत और चीन ने जटिल सीमा विवाद हल करने के लिए और एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए 'शांतिपूर्ण बातचीत...

बीजिंग: भारत और चीन ने जटिल सीमा विवाद हल करने के लिए और एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए 'शांतिपूर्ण बातचीत' के प्रति कायम रहने की सहमति जताई । यह सहमति ऐसे समय में बनी जब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों में चीन की अड़ंगेबाजी से नकारात्मक माहौल है ।  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सीमा विवाद हल करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए चीन के उनके समकक्ष यांग जिची से यहां 19वें दौर की सालाना वार्ता की, जिसमें यह फैसला हुआ ।

दोनों ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विस्तृत, गहन और स्पष्ट विचार-विमर्श किया, जिसका सीमा निर्धारण नहीं होने की वजह से दोनों पक्षों के बीच तनाव है ।  चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने सीमा के सवाल का हल निकालने के लिए शांतिपूर्ण वार्ता करने पर कायम रहने की सहमति जताई ।  वे एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के प्रयास करेंगे । डोभाल और जिची सीमा विवाद पर वार्ता करने के लिए अपने-अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं । उन्हें इसके अतिरिक्त सभी जटिल द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के अधिकार प्राप्त हैं । 

यांग ने बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में डोभाल का स्वागत करते हुए कहा, 'आपकी यात्रा भारतीय पक्ष द्वारा इस बैठक को दिए जाने वाले महत्व को और चीन तथा भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को और प्रोत्साहित करने के प्रयासों को पूरी तरह रेखांकित करती है ।' उन्होंने कहा, 'चीन-भारत संबंध विशेष महत्व रखते हैं । चीन इस महत्वपूर्ण अवसर का इस्तेमाल द्विपक्षीय संबंधों, सीमा के प्रश्न, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तथा अन्य साझा हितों के मुद्दों पर भारतीय पक्ष के साथ व्यापक, गहन विचार-विमर्श के लिए करने के लिहाज से तैयार है ।' 

डोभाल ने अपनी टिप्पणी में उनके और यांग के बीच हुई अनौपचारिक वार्ता के महत्व को बताया और कहा कि बातचीत दिमाग से नहीं बल्कि दिल से हो रही है । सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष मतभेदों से उचित तरीके से निपटेंगे ।  दोनों पक्षों ने यह राय साझा की कि चीन-भारत के संबंधों की व्यापक संभावनाएं हैं। इसमें कहा गया है कि द्विपक्षीय संबंध 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सफल भारत यात्रा और 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के बाद से व्यापक और तेज विकास के नए कालखंड में प्रवेश कर गए हैं । 

जैश प्रमुख मसूद अजहर पर पठानकोट आतंकी हमले में शामिल रहने के मामले में उस पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध के बारे में भारत के हालिया प्रयासों पर चीन की ओर से तकनीकी अवरोध का मुद्दा भी उठने की बात कही गई है । साल 2015 को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में 'बहुत सकारात्मक साल' बताते हुए डोभाल ने कहा, 'इससे एक प्रक्रिया शुरू हुई, जिसे लेकर हम बहुत संतुष्ट हैं। कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान में साझेदारी रही है।' साल 2015 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन यात्रा की थी । उन्होंने पीएम मोदी की ओर से चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग को अभिवादन प्रेषित किया ।

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