Edited By Tanuja,Updated: 26 Jun, 2018 05:31 PM
हिंद महासागर में जिबूती बेस के जरिए ताकत बढ़ा रहे चीन के लिए भारत-सेशेल्स के बीच सोमवार को हुए 6 समझौते बुरी खबर लेकर आए हैं। भारत और सेशेल्स के बीच नौसैनिक अड्डा बनाने को लेकर आखिरकार सोमवार को सहमति बन ही गई...
नई दिल्लीः हिंद महासागर में जिबूती बेस के जरिए ताकत बढ़ा रहे चीन के लिए भारत-सेशेल्स के बीच सोमवार को हुए 6 समझौते बुरी खबर लेकर आए हैं। भारत और सेशेल्स के बीच नौसैनिक अड्डा बनाने को लेकर आखिरकार सोमवार को सहमति बन ही गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इसे बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि, अभी मामला सिर्फ संकेतों तक सीमित है, लेकिन नरेंद्र मोदी ने सेशेल्स को 10 करोड़ डॉलर के कर्ज का ऐसा तोहफा दिया है, अब उसके लिए 'न' कह पाना बेहद मुश्किल हो गया है। इससे मोदी ने हारी हुई बाजी को फिर से जीत लिया है। हिंद महासागर में भारत के नेवल बेस के बारे में मोदी ने कहा कि हम एक-दूसरे के अधिकारों की मान्यता के आधार पर 'एजम्शन आइलैंड' प्रोजेक्ट पर मिलकर काम करने को सहमत हुए हैं। दूसरी ओर सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा कि 'असम्पशन आइलैंड' प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई और हम एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखते हुए साथ मिलकर काम करेंगे।
सेशेल्स के राष्ट्रपति का यह बयान इसलिए बेहद अहम है, क्योंकि कुछ दिनों पहले उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान कर दिया था कि जब वह भारत यात्रा पर जाएंगे तो पीएम नरेंद्र मोदी के साथ 'एजम्शन आइलैंड' प्रोजेक्ट पर कोई बात नहीं करेंगे। सेशेल्स का यह बयान जब आया था, तब भारतीय कूटनीतिकारों के खेमे में खलबली मच गई थी। इसे हिंद महासागर में भारत की हार और चीन की जीत के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन भारतीय कूटनीतिज्ञों ने हारी बाजी को पलटकर चीन की चिंता बढ़ दी है।