Edited By Ashish panwar,Updated: 12 Jan, 2020 11:10 PM
भारत और चीन के एतराज के बाद, नेपाल अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संबंधित मसौदा तैयार कर रहा है। इस मसौदे में विदेशी एनजीओ को नेपाल में काम करने से रोकने का प्रावधान होगा। इस नियम के दायरे में वे सभी एनजीओ आएंगे, जिनके कामकाज पर भारत और...
इंटरनेशनल डेस्कः भारत और चीन के एतराज के बाद, नेपाल अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से संबंधित मसौदा तैयार कर रहा है। इस मसौदे में विदेशी एनजीओ को नेपाल में काम करने से रोकने का प्रावधान होगा। इस नियम के दायरे में वे सभी एनजीओ आएंगे, जिनके कामकाज पर भारत और चीन को एतराज है। नेपाल दोनों बड़े पड़ोसी देशों से संबंध अच्छे रखने के लिए यह कदम उठा रहा है।
भारत और चीन के लिए सीमापार से आने वाले आतंकी और अपराधी बड़ी समस्या रहे हैं। भारत को पाकिस्तान से पोषित इस्लामिक आतंकवाद से हमेशा खतरा बना रहता है। वहीं, चीन को नेपाल के जरिये तिब्बतियों के अवैध रूप से आने-जाने पर समस्या रहती है। नेपाल के भीतर सीमा के नजदीक बड़ी संख्या में बन रहे मदरसे भारत के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। ये मदरसे कतर, सऊदी अरब और तुर्की की आर्थिक सहायता से बने हैं और भारत में धार्मिक कट्टरता फैलाने का काम कर रहे हैं।
नेपाल की विदेश नीति में दो बड़े पड़ोसियों से संबंधों का संतुलन बनाए रखने की चुनौती हमेशा रही है। काठमांडू पोस्ट अखबार के अनुसार, नेपाल के उत्तर और दक्षिण में विशाल जनसंख्या वाले दो देश हैं। दोनों का नेपाल की जनता पर कई तरह का प्रभाव भी है। इसलिए नेपाल किसी भी विदेशी संगठन को ऐसा करने की अनुमति नहीं देगा, जिससे भारत और चीन के साथ उसके संबंधों पर बुरा असर पड़े।
परिषद के सूचना अधिकारी दुर्गा प्रसाद भट्टराई के अनुसार, नेपाल का समाज कल्याण विभाग इस मसौदे को तैयार कर रहा है। इसके बाद मसौदे को सरकार अंतिम रूप देगी और फिर इसे संसद के पटल पर रखा जाएगा। वहां से पारित होने पर यह कानून का रूप लेगा। प्रस्तावित मसौदे में पड़ोसी देशों की चिंताओं का ध्यान रखा गया है। इसमें सीमावर्ती इलाकों में कार्य करने वाले एनजीओ पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रस्तावित नीति का मकसद रणनीतिक कारणों से चलाए जा रहे एनजीओ की गतिविधियां रोकना है। उनसे होने वाले विदेशी संबंधों के नुकसान से खुद को बचाना है।