Edited By ,Updated: 21 Jan, 2017 11:50 AM
अमरीका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से दुनिया के अन्य देश भी प्रभावित होंगे...
वॉशिंगटनः अमरीका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से दुनिया के अन्य देश भी प्रभावित होंगे। एक ओर जहां रूस में आज तक अमरीकी प्रशासन के बदले जाने की खुशी कभी नहीं देखी गई वहां आज शैंपेन की बोतलें खुल रही हैं । दूसरी ओर भारत के कई नागरिक अमरीका में कार्यरत हैं, उनकी स्थिति पर संकट के बादल घिरने की आशंका जताई जा रही है। चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि 'यदि मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो भारतीय और हिंदू समुदाय के लोग व्हाइट हाउस में सच्चे मित्र होंगे। मैं इसकी गारंटी देता हूं।' लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद ‘अमरीका फर्स्ट’ की अपनी नीति के साथ वे भारत के लिए कितने फायदेमंद और नुकसानदेह साबित होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
भारत को ट्रंप प्रशासन से संबंधों को मजबूत करने के लिए H-1B वीजा, अमरीकी कॉर्पोरेट टैक्स में कमी और टैरिफ के आयात पर काम करना होगा। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अफगानिस्तान-पाक में क्या रणनीति अख्तियार करता है लेकिन रूस और अमरीका के संबंध सामान्य होने से अमरीका और भारत के संबंध सहज होंगे। ताजपोशी के तुरंत बाद दिए गए ट्रंप के भाषण से पता चलता है कि अमरीकियों की जगह विदेशी कामगारों को नौकरी पर रखे जाने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने डिज्नी वर्ल्ड और उन दूसरी अमरीकी कंपनियों का हवाला दिया जहां भारतीय कामगारों समेत H1-B वीजा पर अमरीका आए अन्य विदेशियों ने अमरीकियों की नौकरियां छीन लीं। हालांकि यह अंदेशा पहले ही हो गया था क्योंकि अमरीकी कंपनियों में विदेशी कामगारों की नौकरी के मुद्दे को अपने चुनाव अभियान में जोर-शोर से उठाया था।
राष्ट्रपति के तौर पर ताजपोशी के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले भाषण में यह स्पष्ट कर दिया कि अमरीकी नौकरियों में सबसे पहले स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वहां H1-B वीजा पर मौजूद लाखों भारतीयों की स्थिति संकट में आ सकती है। हालांकि उनका प्रशासन, H1-B वीजा देने में अमरीकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशियों को प्राथमिकता दिए जाने का प्रस्ताव करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे विदेशियों को कम वक्त का वीजा जारी करने के कार्यक्रम के बारे में नया कानून बनाने का प्रस्ताव करेंगे। जिसके तहत अमरीका के नागरिकता एवं आव्रजन विभाग को H-1B वीजा जारी करते समय अमरीकी संस्थानों में शिक्षित-प्रशिक्षित 'सबसे तेज एवं प्रतिभाशाली' विद्यार्थियों को प्राथमिकता देनी होगी। शीर्ष अमरीकी थिंक टैंक के सीनियर फेलो टेलिस ने कहा, 'ट्रंप की अमरीका फर्स्ट की नीति अमरीका-भारत के रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है। ट्रंप को चीन से मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ संबंध मजबूत करने चाहिए।