राष्ट्रपति कोई भी हो, अमेरिका में बना रहेगा भारतीयों का दबदबा

Edited By Anil dev,Updated: 05 Nov, 2020 05:17 PM

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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन दोनों ने ही एक-दूसरे से आगे होने का दावा किया है, जबकि अभी अंतिम परिणाम कुछ राज्यों पर टिका है जहां कोविड-19 महामारी के बीच डाक मतपत्रों की गिनती का काम...

इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन दोनों ने ही एक-दूसरे से आगे होने का दावा किया है, जबकि अभी अंतिम परिणाम कुछ राज्यों पर टिका है जहां कोविड-19 महामारी के बीच डाक मतपत्रों की गिनती का काम पूरा होना बाकी है। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? ये तय करने का अधिकार अमेरिकियों को है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की भी अहमियत काफी बढ़ जाती है। आईए जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में कैसे इस चुनाव में भारतीय निभा रहे हैं अहम भूमिका। 

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अमेरिका में ज्यादातर भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर 
दरअसल अमेरिका में भारतीय मूल के 40 लाख लोग हैं, जिनमें 20 लाख वोटर हैं। अमेरिका के एरिज़ोना, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशिगन और टेक्सास समेत 8 सीटों पर भारतीयों के वोट काफ़ी असरदार हैं। अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पढ़े लिखे हैं और ज्यादातर लोग इंजीनियर, डॉक्टर और रिसर्च करते हैं। अगर सियासी तौर पर बात की जाए तो भारतीय मूल के लोग ताकतवर हैं। कुल 5 सांसद भारतीय मूल के हैं, अमेरिका में कुल 12 %भारतीय वैज्ञानिक हैं। NASA में 36% वैज्ञानिक भारतीय हैं। जबकि 38% डॉक्टर भारतीय हैं। अमेरिका की बड़ी Technology कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के 34% कर्मचारी भारतीय मूल के हैं। इसके अलावा XEROX में भी भारतीयों का कब्जा है और यहां 13% भारतीय काम करते हैं। आईबीएम के कर्मचारियों में भारतीय मूल की संख्या 28% है।

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भारतीय मूल के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश
वहीं डेमोक्रटिक पार्टी ने उप राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस को चुनाव में उतार कर 20.5 लाख भारतीय मूल के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की है। डेमोक्रटिक पार्टी का दावा है कि भारतीय उनके पारंपरिक वोट बैंक है और उनके साथ ही रहेगा। इस चुनावों से पहले कमला हैरिस तक कश्मीर और सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की नीतियों का हमेशा विरोध करते आए हैं लेकिन अमेरिका में बसे हिंदू वोटर्स को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अब यूटर्न लेते हुए अपनी भाषा भी बदल लिया है। उनको पता है कि मोदी सरकार के खिलाफ बोलना उन्हें चुनावों में महंगा पड़ सकता है। 

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अमेरिका में महिलाओं का परचम
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के साथ-साथ कई राज्यों में भी हुए चुनावों में पांच महिलाओं सहित एक दर्जन से अधिक भारतवंशियों ने जीत दर्ज की है। कई मायनों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए ऐसा पहली बार हुआ है। इनके अलावा चार भारतीय मूल के उम्मीदवार- डॉ.एमी बेरा, प्रमिला जयपाल, रो खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति- अमेरिकी कांग्रेस के निम्न सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के लिए दोबारा निर्वाचित हुए हैं। वहीं भारतीय मूल के कम से कम तीन ऐसे प्रत्याशी हैं जिनका फैसला नहीं हुआ है और इनमें एक हाउस ऑफ रिप्रजंटेटिव के लिए मैदान में है। राज्य विधायिकाओं के लिए भारतीय मूल की जो पांच महिलाएं निर्वाचित हुई हैं , उनमें न्यूयॉर्क राज्य विधानसभा के लिए जेनिफर राजकुमार, केंटुकी राज्य विधानसभा के लिए नीमा कुलकर्णी, वरमोंट राज्य सीनेट के लिए केशा राम, वाशिंगटन राज्य विधानसभा के लिए वंदना स्लेट्टर और मिशिगन राज्य विधानसभा के लिए पद्मा कुप्पा शामिल हैं। वहीं, नीरज अंतानी को ओहायो राज्य सीनेट के लिए निर्वाचित घोषित किया गया है। जय चौधरी नॉर्थ कैरोलाइना राज्य सीनेट के लिए दोबारा निर्वाचित हुए हैं। एरिजोना राज्य विधानसभा के चुनाव में अमीश शाह ने जीत दर्ज की है।

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20 लाख भारतीयों ने किया अपने मताधिकार का इस्तेमाल
निखिल सावल पेन्सिलवेनिया राज्य सीनेट और राजीव पुरी मिशिगन राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। चुनाव के नतीजों के मुताबिक जर्मी कूनी ने न्यूयॉर्क राज्य सीनेट में अपनी सीट पक्की है जबकि अश कालरा लगातार तीसरी बार कैलिफोर्निया विधानसभा के लिए निर्वासित हुए हैं। रवि सांडिल ने टेक्सास के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज के चुनाव में जीत दर्ज की है। केशा राम पहली गैर श्चेत महिला है जो वरमोंट राज्य सीनेट के लिए निर्वाचित हुई हैं। निखिल सावल पहले भारतीय अमेरिकी हैं जो पेन्सिलवेनिया विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। जेनिफर राजकुमार न्यूयॉर्क की विधायिका में निर्वाचित होने वाली पहली दक्षिण एशियाई महिला हैं जबकि नीरज अंतानी ओहायो राज्य सीनेट पहुंचने वाले पहले भारतीय अमेरिकी बने हैं। सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस के मुताबिक इस साल के चुनाव में करीब 20 लाख भारतीयों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। वहीं डॉ. हीरल तिपिरनेनी एरिजोना से हाउस ऑफ रिप्रजंटेटिव पहुंचने के लिए हल्की बढ़त बनाए हुए हैं। वहीं, न्यूजर्सी राज्य सीनेट के लिए लड़ रहे रूपांडे मेहता और पेन्सिलवेनिया ऑडिटर जनरल के लिए चुनाव लड़ रहे नीना अहमद का फैसला आना बाकी है। अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रही दो महिलाओं सहित चार भारतवंशियों को हार मिली है। इनमें श्री प्रेस्टन कुलकर्णी को टेक्सास, मंगा अनंतत्मुल को वर्जीनिया से और निशा शर्मा एवं रितेश टंडन को कैलिफोर्निया से हार मिली है। भारतीय मूल की राजनेता सारा गिडियोन और रिक मेहता को क्रमश: मेइन और न्यूजर्सी राज्य सीनेट चुनाव में हार मिली है। 

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