चीन के शंघाई में लॉकडाउन की वजह से बिगड़े हालात, 2.6 करोड़ आबादी घरों में कैद, खाने-पीने के लिए तरसे लोग

Edited By Anil dev,Updated: 09 Apr, 2022 04:38 PM

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चीन की वित्तीय राजधानी शंघाई में लगे लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है। इस दौरान शहर में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ गई हैं। विदेशों कों निर्यात किए जाने वाले सामानों की सप्लाई रोक दी गई है। हालात इतना खराब हो चुका है कि शंघाई के किसी भी...

इंटरनेशनल डेस्क: चीन की वित्तीय राजधानी शंघाई में लगे लॉकडाउन ने लोगों की कमर तोड़ दी है। इस दौरान शहर में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ गई हैं। विदेशों कों निर्यात किए जाने वाले सामानों की सप्लाई रोक दी गई है। हालात इतना खराब हो चुका है कि शंघाई के किसी भी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं बची है। शंघाई के हालात इतने खराब है कि हताश दृश्यों ने उन नागरिकों को भी झकझोर दिया है जो कभी वायरस को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कोविड जीरो रणनीति के कट्टर समर्थक थे। भोजन और चिकित्सा देखभाल जैसी दैनिक आवश्यकताओं को प्राप्त करने के लिए शंघाई के लोग धक्का-मुक्की कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी का इलाज बीमारी से भी बदतर है।  कोरोना लॉकडाउन के तहत दो करोड़ 60 लाख लोगों को घरों में बंद कर दिया गया है। 

माता-पिता बच्चों से हुए अलग
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पालतू जानवरों को पीट-पीट कर मार डाला गया है। माता-पिता अपने बच्चों से अलग होने के लिए मजबूर हैं। बुजुर्ग लोग चिकित्सा देखभाल सेंटरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। बंद घरों से नारों की गूंज सुनाई देती है कि हम खाना चाहते हैं और हम आजादी चाहते हैं। स्थानीय निवासी लिली चेन का कहना है कि वह अपनी बिल्लियों के साथ शंघाई में रहती हैं। वह कहती हैं कि अब मुझे एहसास हुआ है कि हम अपने परिवारों की रक्षा के लिए केवल खुद पर भरोसा कर सकते हैं, सरकार पर नहीं।

सरकार के खिलाफ बढ़ रहा है गुस्सा
अधिकांश लोगों का कहना है कि इस देश में यह वायरस नहीं है जो हमें डराता है, लेकिन अराजक एंटी-कोविड उपायों ने बुजुर्गों, बच्चों और पालतू जानवरों लिए जोखिम पैदा किया है। एक अन्य शंघाई निवासी रेजिना ली ने कहा कि उसने लंबे समय से सरकार का समर्थन किया था, लेकिन जब उसने एक वायरस-नियंत्रण कार्यकर्ता द्वारा एक कुत्ते को पीट-पीट कर मारने का वीडियो देखा तो उसने आंसू बहाए। 2012 में सत्ता संभालने के बाद से शायद शी जिन पिन के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक लोगों का बढ़ता हुआ गुस्सा है।  हालांकि कम्युनिस्ट पार्टी मजबूती से नियंत्रण में है, लेकिन कोविड से शंघाई में बिगड़े हालात चीन के शासन के बेहतर मॉडल पर सवालिया निशान छोड़ते हैं। 

जबरन क्वारंटाइन किए जा रहे हैं लोग
सख्त लॉकडाउन से फूड सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी दावों के बीच जमीन पर लोग सब्जी, मीट, चावल जैसे खाद्य पदार्थों के लिए भी तरस गए हैं। आरोप लग रहे हैं कि सरकार सिर्फ खोखले वादे कर रही है, लेकिन जमीन पर कोई भी मदद नहीं कर रहा है। इस सब के ऊपर चीनी सरकार की तरफ से सख्ती के नाम पर बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने पर उन्हें मां-बाप से दूर किया जा रहा है। ऐसी भी खबरें हैं कि संक्रमित लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध क्वारंटाइन सेंटर भेजा जा रहा है।

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