Edited By Anil dev,Updated: 17 Aug, 2021 12:47 PM
दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है।
इंटरनेशनल डेस्क: दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए। तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है। दरअसल लोगों को तालिबान 90 के दशक की याद दिलाता है। जब इस संगठन का अफगानिस्तान पर एक तरफा कब्जा था और महिलाओं को पढ़ने-लिखने की आजादी नहीं थी। महिलाओं के लिए बुर्का अनिवार्य था। साथ ही पुरुषों के लिए दाढ़ी अनिवार्य और सड़कों पर कत्लेआम बिल्कुल आम हुआ करता था। आइए जानते हैं कि तालिबान के टॉप 6 कमांडर के बारे में।
तालिबान में कौन क्या है?
मुल्ला उमर :
तालिबान का सह-संस्थापक जो अफगान गृह युद्ध की अराजकता के बीच 1994 में उभरा था। उमर ने शरिया (इस्लामिक कानून) के क्रूर नियम लागू किए जिसके तहत संगीत, सिनेमा और टी.वी. पर प्रतिबंध के साथ सार्वजनिक फांसी, महिलाओं का क्रूर उत्पीड़न किया गया। 2013 में तालिबान ने उमर की मौत की पुष्टि की।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
सह-संस्थापक जो 8 साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहा। 2018 में रिहा होने के बाद तालिबान राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख के तौर पर कतर में रह रहा है। बरादर ने फरवरी 2020 में ट्रम्प प्रशासन के साथ दोहा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसने तालिबान और काबुल सरकार के बीच सत्ता के बंटवारे की बातचीत का मार्ग प्रशस्त किया।
मुल्ला अख्तर
मंसूर : उमर की जगह नेता बना। मई 2016 में पाकिस्तान में हुए अमरीकी ड्रोन हमले में मारा गया।
हैबतुल्लाह अखुंदजादा
इस्लामिक लीगल विद्वान जिसे मंसूर की मौत के बाद तालिबान का प्रमुख नियुक्त किया गया।
सिराजुद्दीन
हक्कानी: हक्कानी नैटवर्क का नेतृत्व करने वाला जिसको अफगानिस्तान में आत्मघाती हमले शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।
शेर मोहम्मद
अब्बास सतानेकजेई: 2015 से कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख।