सांसदों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन ने उइगर 'अत्याचार' पर चीनी फर्मों को ब्लैकलिस्ट करने का किया आह्वान

Edited By Tanuja,Updated: 27 Jan, 2022 08:38 PM

ipac calls for blacklisting of chinese firms over uyghur atrocities

यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में विधायकों के एक अंतरराष्ट्रीय क्रॉस-पार्टी नेटवर्क ने अपनी सरकारों से चीन के शिजियांग ...

लंदन: यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में विधायकों के एक अंतरराष्ट्रीय क्रॉस-पार्टी नेटवर्क ने अपनी सरकारों से चीन के शिजियांग प्रांत में जबरन श्रम दुर्व्यवहार करने वाली चीनी फर्मों को ब्लैकलिस्ट करने का आह्वान किया है। चीन पर अंतर-संसदीय गठबंधन (IPAC) ने कहा कि 10 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 35 विधायकों ने अपनी सरकारों से उइगर क्षेत्र में अत्याचार करने वाली संस्थाओं की एक ब्लैकलिस्ट तैयार करने का आग्रह किया है।

 

यह आह्वान IPAC द्वारा समन्वित अलग-अलग पत्रों की एक श्रृंखला में  किया गया जिनमें प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं में रेइनहार्ड बुटिकोफ़र MEP, यूरोपीय संसद के चीन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष  सर इयान डंकन स्मिथ सांसद, UK कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व नेता,  ऑस्ट्रेलिया के लेबर सीनेटर किम्बरली किचिंग और भारतीय बीजद सांसद सुजीत कुमार  शामिल हैं । ये पत्र विधायकों के संबंधित वित्त मंत्रियों को संबोधित थे, जिनमें यूरोपीय आयुक्त मैरेड मैकगिनीज और यूके के चांसलर ऋषि सनक शामिल थे। IPACने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह खुलासा होने के बाद  भी HSBC ने XPCC के स्वामित्व वाली प्लास्टिक निर्माता झिंजियांग तियानये में जीबीपी £ 2.2 मिलियन शेयर खरीदे हैं।

 

XPCC, एक चीनी राज्य द्वारा संचालित अर्धसैनिक समूह है जो शिजियांग के जबरदस्त श्रम हस्तांतरण कार्यक्रमों की सुविधा देता है और क्षेत्र के कई तथाकथित 'व्यावसायिक प्रशिक्षण' केंद्रों का संचालन करता है। विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि कम से कम दस लाख उइगरों को हिरासत में लिया गया है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा  है।  इनमें जबरन श्रम, यातना और यौन शोषण भी शामिल है। बता दें कि दिसंबर 2020 में हांगकांग के पूर्व विपक्षी विधायक टेड हुई की संपत्ति को फ्रीज करने में अपनी भूमिका के लिए HSBC पहले IPAC के सदस्यों के निशाने पर आ गया है। घटनाओं के कारण एचएसबीसी को यूके की संसद की विदेश मामलों की समिति के समक्ष बुलाया गया, जहां उस पर शहर के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन पर हांगकांग सरकार की कार्रवाई को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था।

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