Edited By vasudha,Updated: 26 Apr, 2019 05:52 PM
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ़ ने कहा कि चीन के द्वारा बनाए जा रहे बेल्ट एडं रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) से क्षेत्र के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। इससे पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में ‘चरमपंथी आतंकवाद'' को कमजोर करने में मदद मिलेगी...
न्यूयॉर्क: ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ़ ने कहा कि चीन के द्वारा बनाए जा रहे बेल्ट एडं रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) से क्षेत्र के आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी। इससे पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में ‘चरमपंथी आतंकवाद' को कमजोर करने में मदद मिलेगी।
आतंकवाद ने पसारे पांव
जरीफ़ ने कहा कि इस खास क्षेत्र में आतंकवाद ने आर्थिक विकास कम होने के कारण पांव पसारे हैं। यह क्षेत्र ईरान में चाबहार से लेकर पाकिस्तानी बंदरगाह ग्वादर तक फैला हुआ है। ग्वादर बंदरगाह अफगानिस्तान को भी जोड़ता है। उन्होंने एशिया सोसाइटी के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हम बीआरआई के माध्यम से उन क्षेत्रों का विकास कर सकते हैं तो हम पाकिस्तान में चरमपंथी आतंक, अफगानिस्तान में और ईरान के कुछ हिस्सों में विदेश-प्रायोजित (आतंकवाद) को करारा झटका दे सकते हैं।
बीआरआई चीन की रणनीतिक पहल
विदेश मंत्री ने बीआरआई को चीन की रणनीतिक पहल करार देते हुये कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा है और हम उसे सकारात्मक रूप से देखते हैं। वे क्षेत्र में व्यापक निवेश कर रहे हैं उनके पास ईरान में जिनमें औद्योगिक एवं ट्रांजिट वाली कई परियोजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हम ओमान सागर को चाबहार बंदरगाह होते हुए यूरोप से जोड़ रहे हैं जिसमे -सेंट पीटर्सबर्ग के साथ-साथ काला सागर शामिल है। यह एक रणनीतिक ट्रांजिट कोरिडोर है।
भारत ने बीआरआई का किया बहिष्कार
चाबहार अब तक अमेरिकी प्रतिबंधों से बाहर है। जरीफ़ ने यह भी बताया कि पूर्व एवं पश्चिम को जोड़ने वाले अन्य कोरिडोर भी हैं। भारत बीआरआई का आलोचक है और वह बीजिंग में इस समय चल रहे दूसरे बेल्ट एडं रोड फोरम का बहिष्कार कर रहा है। भारत 2017 में आयोजित पहले बेल्ड एडं रोड मंच का भी बहिष्कार कर चुका है। चीन ने बीआरआई की शुरूआत 2013 में की थी और इसका उद्देश्य दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया और खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप के साथ सड़क एवं जलमार्ग का जाल स्थापित करना है।