अमेरिका के खिलाफ, ईरान का साथ देंगे मुस्लिम देश?

Edited By Ashish panwar,Updated: 14 Jan, 2020 10:34 PM

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भारत में एक कहावत अक्सर कही जाती है, "जिसकी लाठी उसकी भैस" शायद यह कहावत अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव को चरितार्थ करती है। यही वजह है कि ईरान एक मुस्लिम देश होने के बाद भी अमेरिका के खिलाफ दुनिया के बाकी मुस्लिम देशों का समर्थन नहीं...

इटरनेशनल डेस्कः भारत में एक कहावत अक्सर कही जाती है, "जिसकी लाठी उसकी भैस" शायद यह कहावत अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव को चरितार्थ करती है। यही वजह है कि ईरान एक मुस्लिम देश होने के बाद भी अमेरिका के खिलाफ दुनिया के बाकी मुस्लिम देशों का समर्थन नहीं जुटा पा रहा है। हालांकि, 94 साल के दुनिया के सबसे उम्र दराज मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने सभी मुस्लिम देशों से ईरान का साथ देने की अपील की है। लेकिन उनकी इस अपील का शायद ही कोई खास असर देखने को मिल रहा है। वहीं, खाड़ी देशों में अपनी शाही अमीरी और अमेरिका से अपने दोस्ताना रिश्तों के लिए जाने जाने वाले सऊदी क्राउन प्रिंस के बयान से जो बात निकल कर सामने आई है उससे लगता है कि वह यथास्थिति को बनाए रखना चाहते हैं ।

 

अक्सर कहा जाता है कि युवा खून यथास्थिति को बर्दाश्त नहीं करता है लेकिन इस मामले में मलेशिया के PM महातिर मोहम्मद ज़्यादा युवा दिख रहे हैं। क्राउन प्रिंस यथास्थिति को बनाए रखना चाहते हैं जबकि महातिर मोहम्मद दुनिया भर की यथास्थिति के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं। नए साल की शुरुआत ईरान के लिए सबसे बुरी रही। अमरीका ने तीन जनवरी को उसके सबसे बड़े सैन्य कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी को एक ड्रोन हमले के बाद मार दिया। ईरान में इसको लेकर काफ़ी ग़ुस्सा दिखा और सड़कों पर जनरल सुलेमानी के समर्थन में जनसैलाब उमड़ पड़ा। ईरान ने बदले की कार्रवाही की और इराक में US सेना के सबसे बड़े कैंप पर करीब एक दर्जन से ज्यादा बैलेसेटिक मिसाईलों से हमला किया, लेकिन इतने बड़े हमले के बाद भी अमेरिकी दावे के अनुसार, यूएस सेना का कोई भी सैनिक नहीं मारा गया।

 

इस मुश्किल वक़्त में ईरान बिल्कुल अकेला दिख रहा है। वह न केवल पूरी दुनिया में अकेला दिखा बल्कि इस्लामिक दुनिया में उसका साथी इक्का- दुक्का देशों को छोड़कर कोई उसकी साथ देता नहींं दिख रहा है। शायद कोई भी अमेरिका जैसी महाशक्ति का सामना नहीं करना चाहता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आज का दौर आर्थिक दौर है। और कोई भी देश बेवजह युद्ध में उलझ कर पिछड़ना नहीं चाहता है। मलेशिया एकमात्र मुस्लिम बहुल देश है, जो ईरान के समर्थन में खड़ा हुआ। दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने जनरल क़ासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद कहा कि अब वक़्त आ गया है कि मुस्लिम देश एकजुट हो जाएं।

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