इसराईल ने खोज निकाला कोरोना वायरस खत्‍म करने का नायाब तरीका ! ईलाज को लेकर किया बड़ा दावा

Edited By Tanuja,Updated: 08 Aug, 2020 11:22 AM

israel breakthrough in developing antibody against coronavirus defence minister

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जहां कोरोना वायरस की वैक्सीन व उपचार खोजने में दिन रात एक कर रहे हैं वहीं इसराईल ने इसके ईलाज

यरुशलमः पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जहां कोरोना वायरस की वैक्सीन व उपचार खोजने में दिन रात एक कर रहे हैं वहीं इसराईल ने इसके ईलाज को लेकर बड़ा दावा किया है। इसराईली रक्षा मंत्री नफताली बेनेट का कहना है कि वैज्ञानिकों ने देश की प्रमुख बायोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करने का एक नायाब तरीका विकसित कर लिया है। इस लैब का दौरा करने के बाद रक्षा मंत्री ने बताया कि यह एंटीबॉडी मोनोक्‍लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और बीमार लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्‍मा कर देती है। बता दें कि इसराईल की यह सबसे प्रतिष्ठित लैब है जो सीधेतौर पर प्रधानमंत्री के दिशा निर्देशों के तहत काम करती है।

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सरकार की तरफ से दी गई जानकारी में कहा गया है कि लैब में बनाई गई एंटीबॉडी वैक्‍सीन वायरस को निष्‍क्रय कर देने में सहायक है। रक्षा मंत्री के कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक इस एंटीबॉडी वैक्‍सीन को विकसित करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब इसको पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसके बाद इंस्टीट्यूट इसकी खुराक तैयार करने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय कंपनियों से संपर्क साधेगा। रक्षा मंत्री का कहना है कि उन्‍हें अपने देश के वैज्ञानिकों और उनके स्‍टाफ पर गर्व है जिन्‍होंने कम समय में चमत्कार कर दिखाया है। उनके मुताबिक, ये एक बड़ी उपलब्धि है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मार्च में इसराईल के एक अखबर ने अपने स्रोतों के हवाले से खबर दी थी कि इस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वैक्‍सीन को तैयार कर लिया है। इसमें कहा गया था कि एक अन्‍य वायरस के जरिए शरीर में बनी एंटीबॉडी से इसका इलाज किया जा सकता है।

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इसी आधार पर इस वैक्‍सीन को विकसित किया गया है हालांकि, उस वक्‍त सरकार की तरफ से इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा गया था कि फिलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इसराईल को फरवरी में जापान और इटली समेत कुछ अन्‍य देशों से वायरस के पांच शिपमेंट हासिल हुए थे। इनको माइनस 80 डिग्री तापमान पर रखा गया था और बेहद गोपनीय तरीके से इन्‍हें इसराईल भेजा गया था। वैक्‍सीन को विकसित करने के लिए इसराईल के वैज्ञानिकों ने लगातार कई घंटों तक काम किया है। खबर के मुताबिक, किसी भी वैक्‍सीन के लिए जो सामान्‍य प्रक्रिया अपनाई जाती है उसमें इसका क्‍लीनिकल टेस्टिंग काफी मायने रखती है।

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हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया ही काफी जटिल है और ये काफी लंबा समय लेती है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी दवा के साइड इफेक्‍ट को भी देखा जाता है। इस प्रक्रिया से ये समझने में मदद मिलती है कि वैक्‍सीन किस तरह के मरीजों पर क्‍या असर दिखाती है। उल्लेखनीय कि इस डिफेंस इंस्‍टीट्यूट की स्‍थापना वर्ष 1952 में प्रफेसर और तत्‍कालीन पीएम के वैज्ञानिक सलाहकार अर्नेस्‍ट डेविड बेर्गमान ने की थी। यह संस्‍थान चिकित्‍सा विज्ञान की तकनीकों और संक्रामक बीमारियों से बचाव पर काम करता है।

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