Edited By Isha,Updated: 19 Jul, 2018 04:26 PM
इस्राइल की संसद ने देश को यहूदियों के मुल्क के तौर पर परिभाषित करने वाला विधेयक आज पारित कर दिया हालांकि, इसके बाद अब अरब नागरिकों के प्रति धड़ल्ले से भेदभाव शुरू होने
यरूशलमः इस्राइल की संसद ने देश को यहूदियों के मुल्क के तौर पर परिभाषित करने वाला विधेयक आज पारित कर दिया हालांकि, इसके बाद अब अरब नागरिकों के प्रति धड़ल्ले से भेदभाव शुरू होने की आशंका जतायी जा रही है। अरब सांसदों और फलस्तीनियों ने इस कानून को नस्लवादी भावना से प्रेरित बताया और कहा कि संसद में हंगामेदार बहस के बाद इस विधेयक के पारित होने पर ‘‘ रंगभेद ’’ वैध हो गया है। विधेयक 55 के मुकाबले 65 वोटों से पारित हो गया।
इससे हिब्रू देश की राष्ट्रीय भाषा बन गई है और इसमें यहूदी समुदायों को बसाये जाने को राष्ट्रीय हित में बताया गया है। इससे पहले अरबी को आधिकारिक भाषा माना जाता था और उसे अब केवल विशेष दर्जा दिया गया है। यह विधेयक आज सुबह पारित किया गया। इसमें इस्राइल को यहूदियों का ऐतिहासिक मातृभूमि बताया गया है और कहा गया है कि यहूदियों को वहां आत्मनिर्णय का अधिकार है। हालांकि, इसमें उस विवादास्पद उपधारा को राष्ट्रपति रिवेन रिवलिन सहित अन्य की आलोचना के बाद बदल दिया गया, जिसमें केवल यहूदी समुदाय के लोगों को बसाने की बात कही गई थी।
इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विधेयक पारित होने के बाद कहा , ‘‘ यह देश के इतिहास में एक निर्णायक पल है जिसने हमारी भाषा , हमारे राष्ट्रगान और हमारे राष्ट्र ध्वज को सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया है वहीं, कई विपक्षी नेताओं ने इसकी ङ्क्षनदा की। अरब ज्वाइंट लिस्ट अलायंस आयमन ओदेह ने इसे ‘‘ लोकतंत्र का अंत ’’ करार दिया।