सुरक्षा परिषद सदस्यता के मुकाबले से हटा  इसराईल , 2 देशों का रास्ता हुआ साफ

Edited By Tanuja,Updated: 05 May, 2018 12:00 PM

israel withdraws from security council election

सुरक्षा परिषद में पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य क्षेत्रीय समूहों को आबंटित की गई  2 सीटों के लिए मुकाबले में  इसराईल 2 साल (2019-20) के लिए बाहर हो गया है। इससे बेल्जियम और जर्मनी को फायदा होगा क्योंकि उनके लिए...

यूएनः सुरक्षा परिषद में पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य क्षेत्रीय समूहों को आबंटित की गई  2 सीटों के लिए मुकाबले में  इसराईल 2 साल (2019-20) के लिए बाहर हो गया है। इससे बेल्जियम और जर्मनी को फायदा होगा क्योंकि उनके लिए क्षेत्रीय आधार पर आबंटित  सीटें लेने का रास्ता अब साफ हो गया है। बता दें कि आम सभा अगले महीने चुनाव आयोजित करेगी।

 दरअसल, सुरक्षा परिषद में इन सीटों के लिए इसराईल, जर्मनी और बेल्जियम के बीच कड़ा मुकाबला था। जीत की संभावना कम होती देख इसराईल  ने अपना नाम वापस ले लिया है।सुरक्षा परिषद पांच स्थायी सदस्यों –ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमरीका से बना है जबकि बाकी के दस सदस्य क्षेत्रीय आधार के अनुसार दो साल की अवधि के लिए समान्य सभा द्वारा चुने जाते है। गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद के पांच नए अस्थानी सदस्यों के चुनाव के लिए अगले महीने 193 सदस्यीय महासभा में मतदान होना। चुने गए नए सदस्यों का कार्यकाल 2019-20 तक दो वर्ष के लिए होगा।

इसराईली यूएन मिशन ने एक बयान में कहा कि शुक्रवार दोपहर संयुक्त राष्ट्र में तीन उम्मीदवारों के बीच बहस के कुछ समय पहले ही इस फैसले की घोषणा की गई । मिशन की ओर से कहा गया, 'हमारे अच्छे दोस्तों सहित हमारे भागीदारों से परामर्श करने के बाद इसराईल  ने सुरक्षा परिषद पर सीट के लिए अपनी उम्मीदवारी स्थगित करने का फैसला किया है।'बता दें कि परिषद में गैर-स्थायी सीटों को क्षेत्रीय रूप से वितरित किया जाता है और इसराईल (जो पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह WEOG में आता है) ने 2019-2020 अवधि के लिए समूह की दो सीटों में से एक पर लड़ने की योजना बनाई थी।

इसराईल का परिषद में सीट जीतने का यह पहला प्रयास था। राजनयिकों ने कहा कि हाल के हफ्तों में यह स्पष्ट हो गया था कि 8 जून को जनरल असैंबली वोट में इसराईल , जर्मनी और बेल्जियम से हार जाएगा। पिछले महीने फिलीस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मालिकी ने कहा था कि इसराईल को हराने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे थे। रियाद में एक अरब शिखर सम्मेलन के दौरान मलिकी ने कहा कि उन्हें विश्वास था कि अरब और मुस्लिम राज्यों को इजरायल की उम्मीदवारी को रोकने के लिए पर्याप्त वोट मिलेगा।
 
 

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