Edited By Tanuja,Updated: 10 May, 2022 04:08 PM
रूस-यूक्रेन जंग के बीच चीन का झुकाव रूस की तरफ रहा है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद चीन-रूस संबंधों में बढ़ती नजदीकियों व...
इंटरनेशनल डेस्कः रूस-यूक्रेन जंग के बीच चीन का झुकाव रूस की तरफ रहा है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद चीन-रूस संबंधों में बढ़ती नजदीकियों व मजबूती ने जापान की चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, चीन की ताइवान पर हमले की संभावना ने जापान को सतर्क कर दिया है क्योंकि जापान के लोग पहले ही चीन द्वारा सेनकाकू द्वीप समूह पर दावा करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जापान पूर्वी चीन सागर में सशस्त्र संघर्ष के लिए कमर कस रहा है। जापान अपनी तैयारियों को इसलिए भी पुख्ता कर रहा है क्योंकि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर ताइवान पर चीन के आक्रमण की संभावना बढ़ रही है। सिंगापुर पोस्ट ने बताया कि सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, चीन ने प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है।
चीन और सोलोमन ने हाल ही में पुष्टि की है कि उन्होंने एक अलग सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका और उसके सहयोगियों को डर है कि इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलियाई तट से 2,000 किलोमीटर से भी कम दूरी पर चीनी नौसैनिक अड्डा बन सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान ने अपनी ताकत बढ़ाने के उपाय करना शुरू कर दिया है क्योंकि ताइवान संघर्ष भड़कने से उसकी सक्रिय भागीदारी बढ़ेगी।
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन ने सोलोमन द्वीप समूह को लुभाया है और निवेश व टूरिस्ट विजिट के आश्वासन के जरिए उससे ताइवान की अपनी मान्यता को खत्म करने के लिए मजबूर किया। सिंगापुर पोस्ट ने बताया कि इसने चीन को देश की पूर्वी सीमा से लगभग 2,000 किमी दूर एक सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति दी है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चीन पापुआ न्यू गिनी, वानुअतु और किरिबाती जैसे अन्य द्वीप राष्ट्रों को लुभाने के लिए इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा चीन ताइवान के सहयोगी मार्शल द्वीप, नाउरू और तुवालु को भी अपने पक्ष में करने के लिए काम कर रहा है। चीन की इस रणनीति ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को परेशान कर दिया है।
ज्ञात हो कि जापान इन देशों के साथ विभिन्न समझौतों के माध्यम से गठबंधन में है, जिसका अर्थ है कि चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष होने की स्थिति में जापान इन देशों का साथ देगा। चीन विरोधी भावनाओं और सुरक्षा खतरों के बीच भू-राजनीतिक तनाव से जापान के चीन के साथ संबंध बिगड़ रहे हैं। जापान में लोग पहले ही चीन द्वारा सेनकाकू द्वीप समूह (चीनी में डियाओयू द्वीप) पर दावा करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। यूक्रेन के आक्रमण के बाद चीन और रूस के बीच संबंध मजबूत होने के बाद जापान की चिंताएं और बढ़ गई हैं।