जियो का सस्ता स्मार्टफोन चीन के​​ लिए खतरे की घंटी!

Edited By vasudha,Updated: 16 Jul, 2020 04:50 PM

jio cheaper smartphone is a challenge for chinese companies

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल)के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने भारतीय बाजार में सस्ते स्माटर्फोन फोन लाने की पहले से तैयारियां कर और इसमें मदद के लिए दिग्गज कंपनियों को जियो प्लेटफॉर्म्स के मंच पर एक साथ लाकर यह ऐलान किया है जो...

बिजनेस डेस्क: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल)के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने भारतीय बाजार में सस्ते स्माटर्फोन फोन लाने की पहले से तैयारियां कर और इसमें मदद के लिए दिग्गज कंपनियों को जियो प्लेटफॉर्म्स के मंच पर एक साथ लाकर यह ऐलान किया है जो भारतीय स्माटर्फोन बाजार में धाक जमाये बैठी चीनी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। वर्तमान माहौल में जब गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच आए संबंधों के अत्यंत तनावपूर्ण होने से जियो का सस्ता स्माटर्फोन चीनी कंपनियों के लिए जबर्दस्त चुनौती साबित हो सकता है। 

 

चीन को लेकर देश में गुस्सा
गलवान घटना के बाद देश में चीन को लेकर बहुत गुस्सा है और चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम लोगों ने स्वत: स्फूर्त जगह-जगह चलाई हुई है। अंबानी ने बुधवार को रिलायंस की.43 वीं एजीएम में सोशल मीडिया की दिग्गज गूगल के जियो प्लेटफॉर्म्स में 33737 करोड़ रुपये में 7.73 प्रतिशत इक्विटी देने के साथ ही भारतीय दूरसंचार क्षेत्र को 2जी मुक्त कराने और 4जी और 5जी सस्ते स्माटर्फोन फोन उतारने की भी घोषणा की। अंबानी ने अगले तीन वर्ष में रिलायंस जियो के उपभोक्ताओं को पचास करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। अब सस्ता स्माटर्फोन लाकर अंबानी की नजर 35 करोड 2जी उपभोक्ताओं में से ज्यादा से ज्यादा को जियो के पाले में लाने पर होगी। 

 

पहले से ही बन गई थी रणनीति
अंबानी की इस घोषणा के पीछे काफी समय से बन रही रणनीति और इसी के तहत जियो प्लेटफॉर्म्स में अपने अपने क्षेत्र की दिग्गजों को साझीदार के तौर पर लाया गया है। मसलन क्वालकॉम और इंटेल सेमीकंडक्टर या चिप बनाने के महारथी हैं तो गूगल के साथ मिलकर ऑपरेटिंग सिस्टम यानी (ओएस) विकसित किया जा जायेगा। जियो स्वयं एप्स के मामले में आत्मनिर्भर है और फेसबुक के साथ आने से व्हाट्सएप और फेसबुक सरीखे एप भी उसकी पकड़ में आ गए है। जियो फोन बनाने की निपुणता पहले से ही रिलायंस के पास है। इन सबके एक साथ आ जाने से जियो बहुत आसानी से एक सस्ता 4जी 5जी स्माटर्फोन बाजार में ला सकेगा, इसमें कोई शंका नहीं रह जाती क्योंकि सभी एक साथ है तो मुनाफा अलग अलग न बंटकर एक जगह आएगा जिससे लागत कम रहेगी और आसानी से भी किसी को टक्कर दी जा सकेगी। 

 

100 में 70 लोगों के पास चीन के स्माटर्फोन
रिसर्च फर्म काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भारतीय स्माटर्फोन मार्कीट में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से भी ज्यादा है यानी 100 में 70 लोगों के पास चीन के स्माटर्फोन हैं। देश के टॉप-5 स्माटर्फोन ब्रांड में से चार चीन के हैं। सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत मार्कीट शेयर शाओमी का है, दूसरे नंबर पर 17 प्रतिशत मार्कीट शेयर के साथ वीवो है। पहली पांच कंपनियों में सिर्फ सैमसंग है, जो कि दक्षिण कोरियाई कंपनी है। सैमसंग की बाजार हिस्सेदारी भारत में 16 प्रतिशत है।

 

 चीनी कंपनियों के लिए चुनौती ​है स्माटर्फोन
भारत का स्माटर्फोन मार्कीट करीब दो लाख करोड़ रुपए का है। इसमें से ज्यादातर हिस्सेदारी चीनी कंपनियों की है। अंबानी ने सस्ते स्माटर्फोन फोन के साथ ही स्वदेश में विकसित जियो की संपूर्ण 5जी सोल्यूशन की रूपरेखा के साथ देश में विश्व स्तर की 5जी सेवा शुरु करने में का भी ऐलान किया है। यह भी चीन के लिये खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा, इसका परीक्षण कर अगले वर्ष तक फील्ड में देने के लिये तैयार किया जा सकेगा। अध्यक्ष ने कहा कि एक बार देश में 5जी सोल्यूशन की मांग को पूरा करने के बाद इसे हम दूरसंचार क्षेत्र की विश्व की अन्य कंपनियों को भी निर्यात करेंगे।

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