Edited By Isha,Updated: 03 May, 2018 12:01 PM
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर आज अफगानिस्तान के उन पत्रकारों को याद किया गया जो हाल में देश के मीडिया पर हुए भयावह हमले में मारे गए थे। वर्ष 2001 में तालिबान का सिर कुचलने के बाद से यह सबसे बड़ा हमला था।
काबुलः विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर आज अफगानिस्तान के उन पत्रकारों को याद किया गया जो हाल में देश के मीडिया पर हुए भयावह हमले में मारे गए थे। वर्ष 2001 में तालिबान का सिर कुचलने के बाद से यह सबसे बड़ा हमला था।
सोमवार को हुए हमले में दस पत्रकार मारे गए थे जिनमें एएफपी के चीफ फोटोग्राफर शाह मराई भी थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया मामलों के उप निदेशक उमर वराइच ने कहा , ‘‘ अफगानिस्तान के पत्रकार दुनिया में सबसे ज्यादा साहसी पत्रकारों में शामिल हैं जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी। मारे गए लोगों में मराई के अलावा आठ अन्य पत्रकार भी थे जबकि बीबीसी का एक पत्रकार पूर्वी खोस्त प्रांत में एक अन्य हमले में मारा गया था। उमर ने कहा , ‘‘ सर्वाधिक मुश्किल हालात में काम करते हुए वह खतरे , डर और हिंसा का सामना करते हैं। उन हमलों में तो लो न्यूज , 1 टीवी , रेडियो फ्री यूरोप और मार्शल टीवी के मीडियाकर्मी भी मारे गए।
भयावह हमलों से अफगानिस्तान का संगठित पत्रकार समुदाय हिल गया है। लेकिन जोखिम के बावजूद अपने काम को लेकर वह प्रतिबद्ध है। हश्त ए सुबा दैनिक अखबार के प्रधान संपादक परवैज कावा ने एएफपी के बताया , ‘‘ विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मुझे और मेरे सहयोगियों को पत्रकारिता के महत्व की याद दिलाता है - ऐसी पत्रकारिता जो फलते फूलते लोकतंत्र के लिए हो और लोगों तक उस जानकारी को पहुचाने के लिए हो जिसकी उन्हें जरूरत है। रिपोर्टर्स विदाऊट बॉर्डर्स ने पिछले वर्ष अफगानिस्तान को पत्रकारों के लिए दुनिया का तीसरा सबसे खतरनाक देश बताया था। मीडिया की इस निगरानी संस्था ने कहा था कि वर्ष 2016 के बाद से अफगानिस्तान में 34 पत्रकार मारे गए हैं।