कराची अटैकः जान पर खेल इस अफसर ने बचाई चीनी स्टाफ की जान, आज हो रही है पाकिस्तान में चर्चा

Edited By Yaspal,Updated: 23 Nov, 2018 09:41 PM

karachi attack the pakistani officer got off to fight

कभी जिस बच्ची को प्राइवेट स्कूल में दाखिला लेने के कारण उसके अपनों ने ही छोड़ दिया था। आज पूरे पाकिस्तान में उसकी तारीफ हो रही है। जी हीं,गांव की वह बच्ची अब कराची पुलिस...

इंटरनेशनल डेस्कः कभी जिस बच्ची को प्राइवेट स्कूल में दाखिला लेने के कारण उसके अपनों ने ही छोड़ दिया था। आज पूरे पाकिस्तान में उसकी तारीफ हो रही है। जी हीं,गांव की वह बच्ची अब कराची पुलिस की महिला अफसर बन चुकी है। शुक्रवार को कराची में जब आधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों ने चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमला बोला, तो इस बहादुर महिला पुलिस अधिकारी ने अपनी जान पर खेलकर मिशन के कई स्टाफ की जान बचाई।

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सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों के इस हमले को नाकाम कर दिया। महिला अफसर ने सुनिश्चित किया कि 9 हैंड-ग्रेनेडों, असॉल्ट राइफलों समेत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के सात आए आतंकी वाणिज्य दूतावास की बिल्डिंग के भीतर डिप्लोमेटिक स्टाफ के करीब न पहुंच सकें। पुलिस ने बताया है कि आतंकियों के पास खाने के सामान और दवाइयां भी थीं, जिससे साफ है कि वे बंधक बनाने के इरादे से आए थे। बता दें कि हमले की जिम्मेदारी बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने ली है।

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हालांकि आतंकी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके। जैसे ही वे कांसुलेट के गेट पर पहुंचे, पुलिस की टीम ने पोजिशन लेते हुए जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में दो पुलिस अधिकारी मारे गए और सभी आतंकियों को ढेर कर दिया गया। सुहाई सिंध प्रांत के तांडो मोहम्मद खान जिले के भाई खान तालपुर गांव के एक निम्न मध्यम परिवार से ताल्लुक रखती हैं। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज एग्जाम पास करने के बाद उन्होंने पुलिस फोर्स जॉइन की।

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सुहाई ने अखबार को बताया, जब मेरे माता-पिता ने स्कूल में दाखिला दिलाने का फैसला किया, तो हमारे ज्यादातर रिश्तेदारों और परिचितों ने परिवार पर तंज कसना शुरू कर दिया। माहौल ऐसा हो गया कि मजबूर होकर मेरे परिवार को गांव छोड़ना पड़ा और पास के एक कस्बे में शिफ्ट होना पड़ा। उनके पिता अजीज तालपुर एक राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक है, जो हमेशा अपनी बेटी के बारे में बड़ा सोचते थे। उन्होंने बताया, मेरे रिश्तेदारों ने संबंध खत्म कर लिए, क्योंकि मैं सुहाई को पढ़ाना चाहता था, जबकि वे चाहते थे कि उसे सिर्फ धार्मिक तालीम दी जाए। सुहाई के पिता ने बताया कि अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने की जिद पर अड़ा रहा।

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सुहाई ने एक प्राइवेट स्कूल से अपनी प्राइमरी शिक्षा  पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए बहरिया फाउंडेशन जॉइन कर लिया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिंध के हैदराबाद में जुबैदा गर्ल्स कॉलेज से उन्होंने बी. कॉम किया। वह कहती हैं, मेरे घरवाले मुझे सीए बनाना चाहते थे। लेकिन मुझे यह काफी नीरस काम लगता था क्योंकि इसकी सोशल वैल्यू नहीं है। इसलिए मैं CSS में शामिल हुआ और पहले ही प्रयास में पास हो गई। सुहाई का श्रेय अपने कठिन परिश्रम और माता-पिता को देती हैं। उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता राष्ट्रपति हैं। बचपन में वे मुझे सिंधी कविता याद करने पर जोर देते थे। इससे साहित्य में मेरी रुचि बढ़ी और परीक्षा में काफी फायदा हुआ। 

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