ब्रेम्पटनः रामेश्वर संघा के साथ नरेश कुमार और रमनदीप सिंह सोढी की खास बातचीत

Edited By Naresh Kumar,Updated: 19 Jun, 2018 12:16 PM

ब्रेम्पटन सैंटर से लिबरल पार्टी के सांसद रामेश्वर संघा ने ओंटेरियो चुनाव में लिबरल की करारी हार के लिए फैसलों में देरी को जिम्मेदार ठहराया है। संघा ने कहा कि हार के बाद जो फैसले लिए गए यदि वह पहले लिए जाते तो शायद इतनी बुरी हालत नहीं होती



ओंटेरियो: ब्रेम्पटन सैंटर से लिबरल पार्टी के सांसद रामेश्वर संघा ने ओंटेरियो चुनाव में लिबरल की करारी हार के लिए फैसलों में देरी को जिम्मेदार ठहराया है। संघा ने कहा कि हार के बाद जो फैसले लिए गए यदि वह पहले लिए जाते तो शायद इतनी बुरी हालत नहीं होती। ब्रेम्पटन में पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान संघा ने अपने सियासी करियर, कनाडा में आ रहे सीरिया के शरणार्थियों, ओंटेरियो चुनाव के सियासी प्रभाव के अलावा, प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो के भारत दौरे को लेकर बात की।पेश है पूरी बातचीत.. 

प्रश्न :  कैनेडा की सियासत में आप का कैसे आना हुआ ?
उत्तर : मैं जालंधर के जंडू सिंघा से संबंध रखता हूँ और कनाडा आने से पहले ही जालंधर में बतौर वकील प्रेक्टिस के दौरान ही सियासत में सक्रिय था। पंजाब में आतंकवाद के काले दौर के दौरान मैं यहाँ आ गया।  यहाँ आ कर मैंने सारी सियासी पार्टियों के संविधान को पढ़ा। पार्टियों की गतिविधयों को करीब से देखा। कुछ वर्ष तक पार्टियों पर अध्ययन करने के बाद लिबरल पार्टी मुझे अपनी सोच के करीब लगी और मैंने लिबरल पार्टी के माध्यम से सियासत में एंट्री की। 

प्रश्न : ओंटेरियो चुनाव में लिबरल की हार को आप कैसे देखते हैं। 
उत्तर :
कनाडा में फेडरल और प्रोवंशियल स्तर पर पार्टी अलग होती है ,हालाँकि दोनों का नाम एक ही है लेकिन राज्य की पार्टी अपने हिसाब से काम करती है लेकिन फिर भी ओंटेरियो चुनाव में हुई इतनी बुरी हालत से बचा जा सकता था। चुनाव के दौरान नेताओं को लग रहा था कि वह स्थिति  का अपने हिसाब से संभाल लेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका और लिबरल पार्टी बुरी तरह से हार गई। मुझे लगता है कि जो फैसले हार के बाद लिए जा रहे हैं ,यदि वह चार पांच महीने  पहले लिए जाते तो इतनी बुरी हार से बचा जा सकता था। 

प्रश्न : क्या ओंटेरियो चुनाव के नतीजों का फेडरल चुनाव पर असर पड़ेगा ?
उत्तर :
कनाडा में ऐसा नहीं होता। फेडरल चुनाव में लोग फेडरल सरकार के काम और नेता का चेहरा देख कर वोट करते हैं। अतीत में ऐसा कई बार हुआ है जब राज्य के चुनाव में जीतने वाली पार्टी फेडरल चुनाव में हार गई। प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो के बराबर नेता फ़िलहाल विपक्ष के पास नहीं है हालाँकि अगले साल तक क्या राजनीतिक हालात होंगे इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इन चुनावों का फेडरल चुनाव पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ता। 

प्रश्न  : प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो के भारत दौरे के विवादों को आप कैसे देखते हैं ?
उत्तर :
प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो का भारत दौरा 80 फीसदी सफल रहा है। इस दौरे के दौरान भारत और कनाडाडा के मध्य अहम् समझौतों  पर हस्ताक्षर हुए हैं। लंबी अवधि में इन समझौतों के फायदे सामने आएँगे। मुझे लगता है कि भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती बहुत जरुरी है और इस मजबूती के लिए निरंतर दोनों पक्षों की बात होनी चाहिए। भारत के लाखों लोग कनाडा में बेस हुए हैं और हर साल लाखों भारतीय स्टूडेंट यहाँ पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। लिहाजा बात चीत को सकारात्मक रूप में देखा जाना चाहिए। हालाँकि मीडिया का फोकस इस दौरे के दौरान नेगेटिव खबरों पर रहा लेकिन यह दौरा एक सफल दौरा था। 

प्रश्न : एन डी पी के उत्थान को आप कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं ?
उत्तर :
एन डी पी को मिल रहा समर्थन अस्थाई है लिहाजा यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है। चुनाव आने तक बहुत सियासी उलट फेर होते हैं। लोग अंत में पार्टी के काम उसकी विश्वसनीयता, जनता से किए गए वादों को पूरा करने की कसौटी और नेताओं के व्यवहार और देश की आर्थिक रफ्तार को देख कर वोट करते हैं। 

प्रश्न : सीरिया के शरणार्थियों पर दरियादिली दिखाने का क्या सियासी नुकसान होगा? 
उत्तर :
कनाडा में सभी लोग बाहर से आए हुए हैं। कनाडा का इतिहास मानवता वादी रहा है और  कनाडा मानवाधिकरों का सबसे बड़ा संरक्षक है। पंजाब में जब 1980 के दशक में लोगों पर संकट आया था तो कनाडा ने आगे बढ़ कर सहयोग दिया था  और  आज वही पंजाबी कनाडा में उच्च पदों पर विराजमान  हैं। मुझे लगता है कि इस मसले पर हमें मानवतावादी रवैया अख्तियार करना चाहिए क्योंकिकनाडा को अलग-अलग धर्मों और वर्गों के लोगों की जरूरत है और लोगों को  खुले दिल से शरणार्थियों का स्वागत करना चाहिए क्योंकि यह लोग आगे चल कर केंदा की उन्नति में योगदान देंगे। 

प्रश्न : क्या आपको भारत में कोई बदलाव नजर आता है ?
उत्तर :
मैं साल में दो या तीन बार भारत जाता हूँ ,मुझे देश में कोई बहुत बड़ा बदलाव नजर नहीं आता ,अभी भी लोग मूल भूत सुविधाओं से वंचित हैं ,जब मैं भारत जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अस्सी के दशक में कनाडा आने का मेरा फैसला सही था। 

प्रश्न :बतौर सांसद आपकी क्या उपलब्धि रही ?
उत्तर :
मैंने संसद में बिल नंबर 344 कम्युनिटी बेनिफिट एग्रीमेंट रखा है। यह प्राइवेट मेंबर बिल है। इस बिल के पास होने पर सरकारी ठेके हासिल करने वाले लोगों को हासिल किए गए कांट्रेक्ट का काम करने के साथ साथ उस इलाके में कम्युनिटी के लिए अलग से एक काम करना होगा। इसके इलावा अपने इलाके के मुद्दे मैं समय -समय पर संसद में उठाता रहता हूँ। मैं संसद की ह्यूमन रिसोर्स कमेटी का सदस्य हूँ और इस कमेटी के माध्यम से लोगों से जुड़े मुद्दे हल करवाने की भी कोशिश करता हूँ । 

प्रश्न :भारतीय स्टूडेंट्स का भविष्य कैसा नजर आता है ?
उत्तर :
माँ बाप मेहनत करके बच्चों की फीस अदा करके उन्हें कनाडा भेज रहे हैं। यहाँ आ रहे स्टूडेंट्स को यह बात याद रखनी चाहिए और अपने परिजनों को उनकी मेहनत का फल देने के साथ साथ कनाडा में नियमों का पालन करके यहाँ के समाज में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाएं। साथ ही मैं पंजाब में बैठे स्टूडेंट्स से यह अपील भी करूँगा कि वह धोखेबाज ट्रेवल एजेंट्स के झांसे में न आएं। स्टूडेंट्स खुद आन लाइन जा कर कनाडा के कालेज ,कालेज में हो रहे कोर्स ,उस कोर्स के सहारे मिलने वाली नौकरी के अलावा कोर्स करने के बाद पी आर के मौके के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। यदि स्टूडेंट्स खुद नहीं समझ पाते तो वह कनाडा में किसी इमिग्रेशन सलाहकार से संपर्क करें क्योंकि यहाँ के इमिग्रेशन सलाहकार कानून से बंधे हैं और स्टूडेंट्स को गलत जानकारी नहीं दे सकते ।

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