Edited By Isha,Updated: 16 Jun, 2018 12:40 PM
ब्रैंपटन नार्थ सीट से लिबरल पार्टी की एम.पी रूबी सहोत ने कहा कि अमरीका में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वहां नसली भेदभाव बहुत बढ़ गया है। ब्रैंपटन से पंजाब केसरी के साथ खास बातचीत
इंटरनैशनल डेस्कः ब्रैंपटन नार्थ सीट से लिबरल पार्टी की एम.पी रूबी सहोत ने कहा कि अमरीका में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वहां नसली भेदभाव बहुत बढ़ गया है। ब्रैंपटन से पंजाब केसरी के साथ खास बातचीत करते रूबी सहोता ने अपने राजनैतिर जीवन, अमरीका के साथ छिड़ी ट्रेड वार, जस्टिन ट्रूडो के इलावा ओंटारियों चुनाव के नतीजों के बारें में विस्तार से चर्चा की । नरेश कुमार और रमनदीप सिंह सोढ़ी की रिर्पोट
सवाल: सियासत में आपका आना कैसे हुआ?
जवाब: मेरा जन्म और परवरिश कनाडा में हुई है पर मेरे पिता का रुझान शुरू से सियासत में था। वह पंजाब में अपने गांव के के सरपंच रहे हैं। लिहाजा घर में सियासत की चर्चा होती रहती थी। हमारे लिए घर में अखबार पडऩा और खबरें सुनना ज़रूरी था जिससे हमें राजनीति में हो रहे हर घटनाक्रम का पता चल सके। मेरे पिता कनाडा में आने के बाद ही सियाीसी रूप में सक्रिय हो गए थे। पिता द्वारा ही मुझें सरकार की कार्य प्रणाली और काम करने के सिस्टम के बारे जानकारी मिलनी शुरू हुई। धीरे -धीरे मेरा रुझान राजनीति की तरफ होता गया और मुझे लिबरल पार्टी की टिकट से चुनाव लडऩे का मौका मिला।
सवाल: क्या गोरी चमड़ी न होने के कारण आपको लोगों की तरफ से मान्यता हासिल करन में स सया आई?
जवाब: इस देश में अभी नसली भेदभाव जिंदा है। ख़ास तौर में अमरीका में डोनाल्ड ट्रप के राष्ट्रपति बनने के बाद नसली भेदभाव एक बार फिर उभर गया है। जिन चीजों का सामना हमने बचपन में किया था, वह फिर सामने आ रही हैं। हमें इस बात का डर भी है पर खुशी है कि की बात ऐसे मुद्दे उठाने के लिए मेरे पास संसद का मंच मौजूद है। हम यह मुद्दा संसद में उठा सकते हैं और इस पर चर्चा भी कर सकते हैं हमें इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि दूसरे लोगों की अपेक्षा अलग न हो। हमारा बोलचाल जारी रहना चाहिए। यदि बोलचाल में कमी आती है या दूरियां बढ़ती हैं तो उस के साथ स सयाएं होती है।
सवाल: क्या नसली भेदभाव का कारण भारतियों की तरफ से हासिल की गई सफलता है?
जवाब: ऐसी नहीं है, कनाडा में अलग -अलग धर्मों और देशों के लोग रहते हैं। मुझे पढ़ाई के समय भी ऐसा मसहूस नहीं हुआ। सियासत में भी इस तरह का नसली भेदभाव नहीं हुआ है पर यह बात ज़रूर है कैनैडा में लैंगिग भेदभाव और कम गिनती के अधिकारों के मुद्दे आज भी हैं। कनाडा की संसद में सरिफ 27 प्रतिशत औरतें हैं और इस स्थति में पिछले कई सालों से कोई सुधार नहीं हुआ है। तनख़्वाह के मामले में भी औरतों की स्थति कोई बहुत अच्छी नहीं है। इस की तरफ काम करने की जरूरत है और कनाडा इस दिशा की तरफ काम भी कर रहा है।
सवाल: क्या ऐ. डी. पी. (न्यू डैमोक्रेटिर पार्टी) 2018 की फेडरल मतदान में चुनौती बनेगी?
जवाब: सियासत में किसी भी विरोधी को छोटा नहीं समझना चाहिए। एन. डी. पी. का भी मुकाबले में स्वागत होगा पर लोगों ने पार्टी के नेताओं और उनकी नीतियाों को देख कर वोट डालनी हैं। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की नीति अच्छी है और उन का नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडा की साख बढ़ी है। देश को अनुभवी नेताओं की जरूरत है और कनाडा के लोग फेडरल मतदान दौरान काम को देख के वोटे डालेंगे।
सवाल: क्या जगमीत सिंह का चेहरा सामने होने के साथ पंजाबी वोट बट जाएंगे?
जवाब: लोग सिर्फ पंजाबी देख कर वोट नहीं करेंगे और लोग मुद्दों को देखेंगे और नेताओं की समर्थन देंग। ओंटारियो के स्थानिक मतदान में भी मुद्दे ही भारी रहे हैं। लोगों को इस बात का मान ज़रूर हो सकता है कोई पंजाबी उ मीदवार मैदान में है पर लोग वोट डालते समय उ मीदवार का धर्म या उसका स्टैटस नहीं देखेंगे।
सवाल: कनाडा और अमरीका में चल रही ट्रेड वार को आप किस तरह से देखते हो?
जवाब: अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सिर्प अपने देश की आर्थिक स्थति को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। इस मामले में कनाडा की सोच अलग है। यूरोप के ओर देश भी इस मामले में अलग राय रखते हैं। ऐसे फ़ैसले आर्थिक स्थिती देख कर लेने पड़ते हैं। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो इस मामले में कनाडा के हितों का ध्यान में रख कर ही फैसले लेते है।
सवाल: क्या वीज़ा नियमों के चलते ढील के कारण लोगों में पाई जा रही नाराजग़ी मतदान पर भी भारी होगी?
जवाब: हमें किस चीज़ का डर नहीं है। कनाडा में कई तरह के लोग रहते हैं। हमें इस दल का अंदाज़ा है कि कनाडा की तरफ से सीरिया लोगों को दी जा रही शरण के चलते लोग नाराज है पर ये शरण मानवता के आधार पर दी गई है। ऐसा पहलें भी हो चुका है। पहलें कनाडा ने 60 हज़ार लोगों को शरण दी थी। अब भी वह कनाडा में ही रह रहे हैं। लोगों को पूरे मामले में मानवता वादी रवैया अपना चाहिए।
सवाल: क्या ओंटारियो मतदान के नतीजे फेडरल मतदान पर प्रभाव डालेंगे?
जवाब: ऐसी नहीं होगा क्योंकि ओटारियों की सथामक लिबरल पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी दोनों अलग -अलग हैं। ओंटारियो के चुनाव स्थानिक मुद्दों पर लडे गए थे और फेडरल मतदान राष्ट्री मुद्दों पर लडें जाएंगे। ऐसा पहलें भी हुआ है क स्थानक मतदान हारने वाली पार्टी फेडरल सरकार बना लेती है।
सवाल: क्या 2019 में लोग लिबरल पार्टी को मौका देंगे?
जवाब: यह लोगों का काम है। अगर मेरा काम अच्छा हुआ तो लोग मुझे ज़रूर मौका देंगे। मैं अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ किया है। मैं सियासत में बहुत कुछ सिखाया है और यह तजुर्बा मेरे लिए जिंदगी में बहुत काम आएगा।
सवाल: क्या पंजाब की याद आती है?
जवाब: मेरा जन्म पंजाब में नहीं हुआ पर मैं अपने गांल संगरूर जिलेा के जंडियाला में जाती रही हूं। मुझे गांव के घर जा कर मोटर पर जाना, साग खाना ऐसी कई चीजें याद है। मेरी शादी हुशियारपुर मे हुई है और मैं अपने ससुराली गॉव भी जाती है। मेरी जो यादें पंजाब के साथ जुड़ी हुई हैं, उस देख मुझे पंजाबी होने पर बहुत मान है।
सवाल: जस्टिन ट्रूडो की भारत फेरी को आप किस तरह से देखते हो?
जवाब: कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत फेरी काफी सुर्खियों में रही थी मीडिया का किसी अच्छी खबर की तरफ ध्यान नहीं गया। हमारे साथ इस फेरी पर कनाडा के कई कारोबारी गए थे और उनके निजी व्यापारिक स बन्ध भारतीय व्यापारियों के साथ बढ़े हैं, उन को इस का बहुत फ़ायदा हुआ है। हालांकि दोनों देशों के बीच लाभ वाले बहुत ज्यादा समझौते नहीं हो सके और इस दिशा में बहुत काम करना अभी बाकी है।
सवाल: क्या भारत में बढ़ रही प्रदूषण की स सया को लेकर आप काम करना चाहोगे।
जवाब: कनाडा के कई एन.जी.ओ. इस मामले में अच्छा काम कर रहे हैं और पानी साफ़ करन की तकनीक में वह भारत का सहयोग कर सकते हैं। इस मामले में दोनों पक्षों को मिलकर बात करना चाहिए क्य़ोंकि वातावरण कनाडा में भी एक बड़ा मुद्दा है। दोनों देशों के लोगों को इस बारे जागरूक होना पड़ेगा।