श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के देश छोड़ने पर लगी रोक, कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने पर विचार

Edited By Tanuja,Updated: 12 May, 2022 03:19 PM

mahinda rajapaksa and 16 others barred from leaving the country

श्रीलंका की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी।...

कोलंबो: श्रीलंका की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी। अदालत ने यह रोक पिछले सप्ताह कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हुए हमले की चल रही जांच के मद्देनजर लगाई है। न्यूज फर्स्ट वेबसाइट की खबर के मुताबिक, फोर्ट मजिस्ट्रेट की अदालत ने उनके विदेश जाने पर रोक, सोमवार को गोटागोगामा और माइनागोगामा प्रदर्शन स्थल पर हुए हमले की जांच के मद्देनजर लगाई है।

 

खबर के मुताबिक जिन लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई है उनमें सांसद जॉनसन फर्नांडो, पवित्रा वन्नीराचची, संजीवा इदिरिमाने, कंचना जयरत्ने, रोहिता अबेगुनावर्धना, सीबी रत्नायके, संपत अतुकोराला, रेणुका परेरा, सनत निशांत, वरिष्ठ डीआईजी देशबंधु तेन्नेकून शामिल हैं। इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने इन 17 लोगों के विदेश जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि गोटागोगामा और माइनागोगामा प्रदर्शन स्थल पर हुए हमले की जांच के सिलसिले में इनकी श्रीलंका में उपस्थिति जरूरी है।

 

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन लोगों ने हमले का षडयंत्र रचा था। गौरतलब है कि सोमवार को महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा, शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर किए गए हमले के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई थी। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी देश में आर्थिक संकट, खाद्यान्न की कमी के मद्देनजर राजपक्षे परिवार के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।  

 

 

कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली समाप्त करने पर विचार करेंगे :  राष्ट्रपति गोटबाया
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश के सबसे विकट आर्थिक संकट को लेकर इस्तीफा देने के जनता और विपक्ष के भारी दबाव के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि संसद कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने पर विचार करेगी। यह कदम उनकी शक्तियों पर अंकुश लगाएगा। शासन की राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करना और इसके स्थान पर ऐसी व्यवस्था लाना, जो संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करती है, यह विपक्ष की मुख्य मांगों में से एक रही है।

 

बता दें कि देश में 1978 से शासन की राष्ट्रपति प्रणाली लागू है। राष्ट्रपति ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि उनके बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सोमवार को इस्तीफा देने के बाद मौजूदा राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने हैं। गोटबाया ने ट्वीट किया, ‘‘देश को निरंकुशता से बचाने और देश के कामकाज को जारी रखने के लिए नयी सरकार गठित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। संसद में बहुमत हासिल करने वाले और लोगों का विश्वास हासिल कर सकने वाले प्रधानमंत्री को इस सप्ताह के भीतर नियुक्त किया जाएगा।''  

 

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