दांतों से नाखून काटने की आदत से पड़ गए जान के लाले

Edited By Tanuja,Updated: 16 May, 2018 09:43 AM

man almost dies from biting nails

ब्रिटेन के एक व्यक्ति के लिए नाखून खाने की आदत जानलेवा साबित हुई। यहां रहने वाले ल्यूक हैनोमन (28) जो दो बच्चों के पिता हैं को दांत से अपने नाखून काटने की आदत थी जिसकी वजह से वह मौत के करीब पहुंच गए थे।

लंदनः ब्रिटेन के एक व्यक्ति के लिए नाखून खाने की आदत जानलेवा साबित हुई। यहां रहने वाले ल्यूक हैनोमन (28) जो दो बच्चों के पिता हैं, को दांत से अपने नाखून काटने की आदत थी जिसकी वजह से वह मौत के करीब पहुंच गए थे। एक दिन वह हमेशा की तरह दांतों से नाखून काट रहे थे  कि  गलती थे नाखून के साइड की स्किन दांत से कट गई और उसके बाद से उन्हें अजीब महसूस होने लगा। उन्हें पता नहीं था कि इस आदत की वजह से उनकी जान खतरे में पड़ जाएगी।

साल 2016 की एक स्टडी का दावा था कि बच्चों में नाखून चबाने की आदत में कोई बुराई नहीं क्योंकि यह उनके एलर्जी के जोखिम को कम करती है लेकिन इसके विपरीत दो बच्चों के पिता को इस आदत के कारण जानलेवा संक्रमण हो गया।  ल्यूक ने जब नाखून की बजाए उसके साइड की स्किन गलती से काट ली तो उसे यह कोई बड़ी बात नहीं लगी। लेकिन उस दिन के बाद से उस सप्ताह में उसे फ्लू जैसे लक्षण महसूस हुए जिसमें ठंडा पसीना आना, कंपकंपी और बुखार शामिल था। उसकी अंगुली सूज गई थी।  उनका स्वास्थ्य दिन ब दिन बिगड़ता गया।   एक दिन रात को ल्यूक 2 बजे तक नहीं सो पाया। अगले दिन उसकी मां ने नैशनल हैल्थ सर्विस हेल्पलाइन पर कॉल किया और ऑपरेटर को बेटे के ये सब लक्षण बताए।

ऑपरेटर ने ल्यूक को तुरंत अस्पताल लाने की सलाह दी। ल्यूक के शरीर पर लाल रंग की लाइनें भी बन गई थी और उसका बॉडी टेम्परेचर हाई था। ल्यूक चार दिन  र अस्पताल में भर्ती रहा जहां उसका सेप्सिस को लेकर इलाज चला। नाखून के पास की त्वचा दांत से कट जाने से इंफेक्शन हो गया था।  समय पर इलाज मिल जाने से मौत से लड़कर ल्यूक बाहर निकले और अब इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं।

क्या होता है सेप्सिस
सेप्सिस एक खतरनाक बीमारी है जो बॉडी में किसी इन्फैक्शन की वजह से होती है। यह किडनी इन्फैक्शन की वजह से भी हो सकती है तो किसी सिंपल कट या खरोंच की वजह से हुए इन्फेक्शन के कारण भी। इसका शुरू में ही ट्रीटमेंट कर लिया जाए तो बीमारी को सीरियस होने से रोका जा सकता है। बीमारी के सीरियस होने पर इससे मरीज की मौत तक हो सकती है। सेप्सिस में किसी एक अंग का इन्फेक्शन ब्लड स्ट्रीम में आकर एक साथ कई अंगों में संक्रमण कर देता है।

ऐसी स्थिति में सांस तेज चलती है, पल्स बढ़ जाती है। बुखार तेज व अप एंड डाउन भी हो सकता है। सेप्सिस की स्थिति में सामान्य बुखार की तरह पैरासीटामोल से बुखार नहीं उतरता। यदि उतरता भी है तो सिर्फ दवा लेने के दौरान तक और फिर चढ़ जाता है।सेप्सिस के संकेतों को सही समय पर पहचानकर इसका इलाज करवा लेना ही बेहतर  न है। ऐसा नहीं करने पर ऑर्गन फेलियर भी हो सकता है। इस कंडीशन को सीवियर सेप्सिस कहा जाता है। इससे आगे की थर्ड स्टेज को सेप्टिक शॉक कहा जाता है जिसमें मरीज की मौत तक हो सकती है।

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