शरणार्थी मुस्लिम ने महिला से नहीं मिलाया हाथ,जर्मनी ने नागरिकता देने से कर दिया इंकार

Edited By Tanuja,Updated: 19 Oct, 2020 04:09 PM

man denied german citizenship for refusing to shake woman

जर्मनी में जातीय भेदभाव का एक अजीब मामला सामने आया है। यहां एक शरणार्थी मुस्लिम व्यक्ति ने महिला अधिकारी से धार्मिक आधार पर हाथ मिलाने से इंकार कर दिया...

इंटरनेशनल डेस्कः जर्मनी में जातीय भेदभाव का एक अजीब मामला सामने आया है। यहां एक शरणार्थी मुस्लिम व्यक्ति ने महिला अधिकारी से धार्मिक आधार पर हाथ मिलाने से इंकार कर दिया जिसके बाद जर्मनी सरकार ने उसे नागरिकता देने से मना कर दिया है। सरकार ने कहा कि हमारे देश के संविधान में धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, शरणार्थी मुस्लिम लेबनान का रहने वाला एक डॉक्टर है। जर्मनी में 10 साल बतौर शरणार्थी रहने के बाद उसने 2012 में नागरिकता के लिए आवेदन किया था।

 

इस दौरान उसने जर्मनी की संविधान में आस्था जताने और आतंकवाद की निंदा करने के शपथपत्र पर भी हस्ताक्षर किया था। जब उसने अपने सभी कागजातों को जर्मनी सरकार की महिला अधिकारी को सौंपा तब उसने धार्मिक आधार पर उनसे हाथ मिलाने से साफ इंकार कर दिया था। इसी कारण साल 2015 में जर्मनी की जिला प्रशासन ने उसे नागरिका देने से इंकार कर दिया था। प्रशासन के फैसले के खिलाफ लेबनानी शरणार्थी ने कोर्ट में अपील की थी। जिसकी सुनवाई अब जाकर पूरी हुई है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए बाडेन-वुर्टेमबर्ग की प्रशासनिक अदालत ने जिला प्रशासन को सही ठहराया है।

 

कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक या लिंग के आधार पर किसी से हाथ मिलाने से इनकार नहीं कर सकता है। न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि हैंडशेक (हाथ मिलाने) का एक कानूनी अर्थ है, इसमें वह एक अनुबंध के निष्कर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। यह अनुबंध उसके और जर्मनी की सरकार के बीच हुआ है। हैंडशेक हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी जीवन में गहराई से निहित है। उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि अगर आप जर्मनी के संविधान को नहीं मानते हैं या उसके नियमों को तोड़ते हैं तो आपको नागरिकता नहीं दी जा सकती है।

 

लेबनान के इस मुस्लिम शरणार्थी ने जर्मनी में अपनी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की और अब एक क्लिनिक में वरिष्ठ चिकित्सक के रूप में काम करता है। उसे व्यवहार के आधार पर अब जर्मनी ने नागरिकता देने से मना कर दिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही जर्मनी की सरकार उसे अपने देश से डिपोर्ट भी कर सकती है। जर्मनी भी अपने देश में बढ़ते धार्मिक कट्टरवाद से पीड़ित रहा है।

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