एक पकवान के झगड़े ने 2 दुश्मन देशों को कर दिया एक

Edited By Tanuja,Updated: 27 Jun, 2018 11:02 AM

masterchef judges crispy rendang comment made enemy countries friends

साउथ ईस्ट एशिया में एक पकवान के झगड़े ने दो दुश्मन देशों को फिर दोस्ती की राह पर बढ़ा दिया है। ये दिलचस्प मामला ब्रिटेन का है ।  इसी साल अप्रैल महीने में ब्रिटेन में मास्टर शेफ़ शो में मलेशिया के एक उम्मीदवार ज़ालिहा क़ादिर ने चिकन रेनडांग नाम की...

लंदनः साउथ ईस्ट एशिया में एक पकवान के झगड़े ने दो दुश्मन देशों को फिर दोस्ती की राह पर बढ़ा दिया है। ये दिलचस्प मामला ब्रिटेन का है ।  इसी साल अप्रैल महीने में ब्रिटेन में मास्टर शेफ़ शो में मलेशिया के एक उम्मीदवार ज़ालिहा क़ादिर ने चिकन रेनडांग नाम की डिश तैयार की। शो के जज ने इस डिश को ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि पकवान करारा नहीं बना। रेनडांग डिश गोश्त से बनती है और इसे धीमी आंच पर नारियल और दूसरे मसालों के साथ पकाया जाता है। गोश्त इस हद तक गलाया जाता है कि वो मुंह में जाते ही पिघल जाए। ऐसे में शो के जज का ये कहना कि ये करारा नहीं है, अजीब बात थी।
  
मामला तब और गंभीर हो गया जब शो के दूसरे जज जॉन टोरोडे ने ये कहते हुए ट्वीट किया कि रेनडांग शायद इंडोनेशियन डिश है। इस ट्वीट के जवाब में जकार्ता के एक सोशल मीडिया यूज़र ग्रिफ़िन शॉनरी ने लिखा- क्या रेनडांग के नाम पर मलेशिया और इंडोनेशिया को लड़ाने की कोशिश की जा रही है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।  हम एकजुट हो जाएंगे। मलेशिया और इंडोनेशिया पड़ोसी देश हैं। लेकिन, ऐसा कम ही देखा गया है कि किसी मुद्दे पर इन दोनों में सहमति बनती हो। दोनों देशों के बीच तल्ख़ी और तनाव का लंबा इतिहास रहा है लेकिन रेनडांग के मुद्दे पर दोनों देश एक हो गए हैं।

मूल रूप से ये डिश इंडोनेशिया की ही है लेकिन मलेशिया भी इस पर अपना दावा पेश करता है। कहा जाता है कि ये डिश इंडोनेशिया में पश्चिमी सुमात्रा के आदिवासियों मिनांगकाबुआ लोगों की है। वो इसे चिकन से नहीं बल्कि भैंस के गोश्त से बनाते हैं। भैंस मिनांगकाबुआ जनजाति की संस्कृति का अहम हिस्सा है। इसे तैयार होने में क़रीब सात घंटे लगते हैं। कहा तो ये भी जाता है कि 'रेनडांग' शब्द भी 'मेरेनडांग' शब्द से आया है, जिसका मतलब है धीमी आंच पर पकाना।

सुमात्रा यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफ़ेसेर गुस्ती अनन बताते हैं कि मिनांगकाबुआ लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने की वजह से ही ये डिश इंडोनेशिया के पड़ोसी देशों में पहुंची। रिसर्च साबित करती है कि मिनांगकाबुआ लोग शादी करने के इरादे से भी पलायन करते थे। पलायन, कारोबार के नए मौक़े और तजुर्बे की ग़र्ज़ से भी होता था। ये लोग सिंगापुर और मलेशिया पैदल या समंदर के रास्ते जाते थे। रेनडांग चूंकि लंबे समय तक रखा जा सकता था लिहाज़ा ये लोग अपने साथ केले के पत्तों में लपेट कर रेनडांग ही सफ़र में खाने के लिए साथ लेकर चलते थे।

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