Edited By Tanuja,Updated: 09 Feb, 2022 10:03 AM
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द महासागर के चागोस द्वीपसमूह पर अपना दावा ठोकने के उद्देश्य से मॉरीशस का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को इस ...
इंटरनेशनल डेस्कः सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द महासागर के चागोस द्वीपसमूह पर अपना दावा ठोकने के उद्देश्य से मॉरीशस का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को इस द्वीपसमूह के लिए रवाना हुआ। इस पर ब्रिटेन भी अपनी दावेदारी जताता है और वहां एक अमेरिकी सैन्य अड्डा भी मौजूद है। प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने एक बयान में कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब मॉरीशस ने ब्रिटेन की अनुमति लिये बिना इन द्वीपों के लिए एक अभियान शुरू किया है। उन्होंने आगे कहा कि चागोस द्वीपसमूह के मामले में अपनी संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों के इस्तेमाल के लिए यह ‘ठोस कदम' है।
मॉरीशस के दावे को 2019 में उस वक्त बल मिला था, जब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीजे) ने अपना गैर-बाध्यकारी मंतव्य दिया था कि ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह को गलत तरीके से अलग किया है। मॉरीशस को 1968 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति दिये जाने से कुछ वर्ष पहले ही चागोस को उससे अलग कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी आईसीजे के उस मंतव्य का दो माह बाद एक प्रस्ताव के साथ अनुसरण किया था, जिसमें ब्रिटेन से चागोस द्वीपसमूह में ‘औपनिवेशिक प्रशासन' समाप्त करने तथा उसे मॉरीशस को लौटाने की सलाह दी गई थी। यहां तक कि पोप फ्रांसिस ने भी इसका समर्थन किया था और कहा था कि ब्रिटेन को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को मानना चाहिए, लेकिन ब्रिटेन ने भी अभी तक उन निर्णयों पर अमल करने से परहेज किया है।
ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह को ‘‘ब्रिटिश हिन्द महासागर का क्षेत्र'' करार देता है। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने वर्तमान अभियान दल के बारे में टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया। अपने बयान में, जगन्नाथ ने ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस' के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ब्रिटेन द्वारा चागोस द्वीपसमूह का निरंतर प्रशासन एक गलत कार्य है।'' उनके कार्यालय ने आगे की टिप्पणी को लेकर भेजे गये ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया है। जगन्नाथ ने बार-बार कहा है कि ब्रिटिश प्रशासन के हटने से डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मॉरीशस इस सैन्य अड्डे को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। मॉरीशस का ‘ब्लेउ डे नीम्स' नामक पोत मंगलवार को सेशल्स से हिंद महासागर में मालदीव से लगभग 500 किलोमीटर (310 मील) दक्षिण में स्थित चागोस द्वीपसमूह के लिए रवाना हुआ। इस 15-दिवसीय यात्रा के लिए पोत पर संयुक्त राष्ट्र में मॉरीशस के स्थायी प्रतिनिधि के अलावा कानूनी सलाहकार और अन्य लोग हैं, जिन्होंने द्वीपसमूह के उत्तर पूर्वी हिस्से में आंशिक रूप से जलमग्न प्रवालद्वीप ‘ब्लेनहेम रीफ' में एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है। जगन्नाथ ने अपने बयान में कहा है कि वह मौजूदा समुद्री यात्रा पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होंगे, बल्कि अलग से निजी यात्रा करेंगे।