Edited By Tanuja,Updated: 29 Jul, 2020 12:27 PM
कोरोना वायरस के इस दौर में पूरी दुनिया खौफजदा है। तेजी से फैली इस महामारी से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है और करोड़ों संक्रमण के शिकार हो चुके हैं...
न्यूयार्कः कोरोना वायरस के इस दौर में पूरी दुनिया खौफजदा है। तेजी से फैली इस महामारी से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है और करोड़ों संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। कोरोना के ईलाज के लिए कई देशों में प्रभावी वैक्सीन का मानव ट्रायल चल रहा है और जल्द ही इसको लेकर बड़ी खुशखबरी मिलने की उम्मीद है। अमेरिका में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ तथा मॉडर्ना इंक द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन का अंतिम चरण का परीक्षण शुरू हो गया है जिसमें लगभग 30 हजार अमेरिकी भाग ले रहे हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा ह्यूमन ट्रायल माना जा रहा है जो तेजी सफलता की ओर बढ़ रहा है। मॉडर्ना कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी स्टीफन बैंसेल ने कहा, ''हम गति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि हमारे लिए हर दिन मायने रखता है।
इस बीच बड़ी उम्मीद यह है कि मॉडर्ना की वैक्सीन बंदरों पर हुए ट्रायल में पूरी तरह से कारगर साबित हुई है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिका की बायोटेक फर्म मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन ने बंदरों पर हुए ट्रायल में एक मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स विकसित किया है। साथ ही यह कोविड-19 वैक्सीन बंदरों की नाक और फेफड़ों में कोरोना वायरस को अपनी कॉपी बनाने से रोकने में भी सफल रही। अंतिम चरण का परीक्षण अमेरिका में विभिन्न स्थानों पर सोमवार को शुरू हुआ। बिंघमटन, न्यूयॉर्क में टीका लगवाने वाली 36 वर्षीय नर्स मेलिसा हार्टिंग ने कहा, ''मैं इसका हिस्सा बनकर रोमांचित हूं। यह बहुत बड़ी चीज है।
उन्होंने कहा, ''इस बीमारी के उन्मूलन के लिए हमारी तरफ से यह प्रयास मेरे लिए महत्वपूर्ण है। टीके के अंतिम चरण के परीक्षण के परिणाम आने में महीनों लगेंगे और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि परिणाम सकारात्मक ही होंगे। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस लगभग साढ़े छह लाख लोगों की जान ले चुका है। अमेरिका में इससे लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने खुलासा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस कोलिन्स ने अंतिम चरण के परीक्षण में सावन्नाह, जॉर्जिया में सुबह पौने सात बजे पहला टीका दिए जाने के बाद कहा, ''यह महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
स्टडी के मुताबिक, वैक्सीन ने वायरस को बंदर के नाक में कॉपी करने से रोका और यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इससे संक्रमण का दूसरों तक फैलना रुक जाता है। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि जब ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का बंदरों पर ट्रायल हुआ था, तब ठीक इसी तरह के परिणाम सामने नहीं आए थे। हालांकि, उस वैक्सीन ने वायरस को जानवरों के फेफड़ों में प्रवेश करने और उन्हें बहुत बीमार होने से रोक दिया था।