Edited By shukdev,Updated: 07 Sep, 2019 07:35 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि क्षरण के मसले पर भारत द्वारा किए जाने वाले उपायों को लेकर कोई ‘अच्छी घोषणा'' कर सकते हैं। मरुस्थलीकरण के समाधान पर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की संस्था के प्रमुख ने यह बात कही। भारत मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण पर आयोजित...
संयुक्त राष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि क्षरण के मसले पर भारत द्वारा किए जाने वाले उपायों को लेकर कोई ‘अच्छी घोषणा' कर सकते हैं। मरुस्थलीकरण के समाधान पर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की संस्था के प्रमुख ने यह बात कही। भारत मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण पर आयोजित एक वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के तहत पक्षों की सभा के 14वें सत्र (कॉप 14) का आयोजन दिल्ली में हो रहा है, जिसकी थीम है- ‘जमीन में निवेश, संभावनाओं के अवसर'।
कॉप 14 सम्मेलन में 196 देशों के मंत्री, वैज्ञानिक, सरकारी प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन और विभिन्न सामुदायिक समूह शामिल होंगे। इस सम्मेलन का मकसद भूमि की उर्वरता को बढा़ने के लिए नई कार्य योजना पर सहमति बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी 9 सितंबर को इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद भी इस उच्च स्तरीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए शनिवार को भारत आएंगी। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के कार्यपालक सचिव इब्राहिम थियू ने भारत से वीडियो लिंक के जरिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का सबसे सस्ता तरीका मृदा क्षरण को रोकना है।
थियू ने बताया कि भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को इस सप्ताह कॉप 14 सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया और वह अगले दो वर्ष तक इस संस्था की अध्यक्षता करेंगे। थियू ने हालांकि ये नहीं बताया कि इस सम्मेलन के लिए भारत ने क्या प्रतिबद्धता जताई है। थियू ने भाषा के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘उम्मीद है कि प्रधानमंत्री (मोदी) सोमवार को अपना भाषण देंगे मैं आपको अधिक नहीं बता सकता हूं। कृपया इंतजार कीजिए। प्रधानमंत्री अपनी घोषणा करेंगे। हम उनसे एक अच्छी घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि भारत भूमि, जलवायु और जैव विविधता के बीच तालमेल बैठाने के लिए सक्रिय रूप से भागीदारी करेगा।