ऑस्ट्रेलिया पर हुआ बड़ा सायबर अटैक, PM मॉरिसन ने चीन पर जताया शक

Edited By Tanuja,Updated: 20 Jun, 2020 10:36 AM

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भारत और अमेरिका ही नहीं बल्कि चीन के संबंध ऑस्ट्रेलिया के साथ भी अच्छे नहीं चल रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर आस्ट्रेलिया ...

सिडनीः भारत और अमेरिका ही नहीं बल्कि चीन के संबंध ऑस्ट्रेलिया के साथ भी अच्छे नहीं चल रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर आस्ट्रेलिया और चीन के बीच तनाव चरम पर है। इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया पर एक बड़ा सायबर हमला हुआ जिसमें सायबर अपराधियों ने सरकारी, औद्योगिक, राजनीतिक संगठन, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी वेबसाइट्स को निशाना बनाया। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने साइबर हमलों को लेकर चीन पर शक जताया है लेकिन सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश पर सायबर हमला कोई नई बात नहीं है लेकिन हाल के दिनों में इसमें काफी तेजी देखी जा रही है। सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं बल्कि चीन अपने पड़ोसी देशों जापान और ताइवन पर निशाने साध रहा है। 

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ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश बहुत बड़े स्तर के साइबर हमले का शिकार बनाया गया है। मॉरिसन ने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस कहा कि अब तक कई संवेदनशील विभागों को निशाना बनाया जा चुका है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले समय में भी ऑस्ट्रेलियाई लोगों को कुछ "खास तरह के जोखिम" और ऐसे कई हमले झेलने पड़ सकते हैं। मॉरिसन ने बिना किसी देश पर आरोप लगाए केवल इतना कहा कि ऐसा उच्चस्तरीय साइबर हमला करने की क्षमता अभी केवल मुठ्ठी भर देशों के पास ही है। इनमें चीन, ईरान, इस्राएल, उत्तर कोरिया, रूस, अमेरिका और कुछ गिने चुने यूरोपीय देश शामिल हैं।

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उन्होंने यह भी कहा कि सायबर हमले के तरीके से साबित होता है कि इसे किसी देश की ओर से किया गया है। मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया सायबर हमलों को लेकर अपने सहयोगी देशों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इन हमलों से डर नहीं है बल्कि हम लोगों को आगाह कर रहे हैं। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया पर सायबर हमलों के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने साथ मिलकर खोज अभियान भी शुरू कर दिया है।  

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माना जा रहा है कि हाल ही में जब ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस की महामारी की शुरुआत के बारे में जांच कराने की मांग की तो इससे चीन काफी नाराज हो गया. इसके अलावा भी ऑस्ट्रेलिया लगातार चीन की उस तथाकथित आर्थिक "जबरदस्ती" के खिलाफ बोलता आया है जिसे हुआवे जैसी चीनी कंपनियों के माध्यम से फैलाया जाता है। उसका मानना रहा है कि विश्व भर में फैली ऐसी तकनीकी कंपनियां असल में चीन के लिए संवेदनशील सूचनाएं इकट्ठा करने और चीन को उसका फायदा पहुंचाने के लिए काम करती हैं।

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