पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में FATF, इमरान की बढ़ेंगी मुश्किलें

Edited By Tanuja,Updated: 28 Sep, 2020 10:39 AM

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फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स  (FATF) ने अगले महीने होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को ग्रे से ब्लैकलिस्ट में डालने का मन बना लिया है।  ...

इस्लामाबादः फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स  (FATF) ने अगले महीने होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को ग्रे से ब्लैकलिस्ट में डालने का मन बना लिया है।  FATF के इस बात की तस्दीक पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने की कगार पर खड़ा है। FATF के इस फैसले के बाद इमरान खान की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी ।


 
 एक रिपोर्ट में शरीफ के हवाले से कहा गया है कि उन्हें घोटाले के झूठे आरोप में फंसाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तानी सेना के जनरल यह नहीं चाहते थे कि अपने कार्यकाल के दौरान मैं इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करूं, जो भारत और अफगानिस्तान सीमा पर फौज की मदद से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।शरीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान अगले महीने होने वाली बैठक में FATF द्वारा ब्लैकलिस्टेड किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा है। फरवरी में FATF की बैठक में, पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय लिया था, लेकिन चेतावनी दी गई थी कि अगर यह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा।

 
FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे IMF और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है।

 

गौरतलब है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।

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