Edited By Tanuja,Updated: 20 Jul, 2021 05:45 PM
कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक डेल्टा स्वरूप के प्रति बढ़ती चिंताओं के बीच दुनिया के अधिकतर देशों में मुसलमानों ने मंगलवार को ईद-उल-अजहा ...
इंटरनेशनल डेस्कः कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक डेल्टा स्वरूप के प्रति बढ़ती चिंताओं के बीच दुनिया के अधिकतर देशों में मुसलमानों ने मंगलवार को ईद-उल-अजहा का त्यौहार सादगी से मनाया। अमेरिका, ईरान, मलेशिया, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सादगी से बकरीद मनायी जा रही है। भारत में बकरीद का पर्व बुधवार को मनाया जाएगा। बकरीद के मौके पर लोग इकट्ठा होकर नमाज अदा करते हैं और जानवरों की कुर्बानी दी जाती है, जिसके मांस का एक बड़ा हिस्सा गरीब एवं जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता है। इस साल यह त्यौहार ऐसे समय में आया है, जब तमाम देश वायरस के डेल्टा स्वरूप से जूझ रहे हैं।
महामारी के चलते कई देशों ने नए प्रतिबंध लगाए या लोगों से कोविड बचाव नियमों का पालन करने और भीड़ एकत्र नहीं करने की अपील की। महामारी के चलते लगातार दूसरे साल भी हज यात्रा प्रभावित रही और सऊदी अरब के नागरिकों या सऊदी अरब में रह रहे लोगों में से 60,000 ऐेसे लोगों को ही हज करने की इजाजत दी गई जिन्हें कोविड-रोधी टीके की खुराक लग चुकी है। पिछले साल की तरह इस साल भी किसी अन्य देश के मुसलमानों को हज यात्रा के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया में भी महामारी के कारण बकरीद का पर्व बेहद सादगी से मनाया गया।
त्यौहार के मद्देनजर बड़ी संख्या में लोगों को एक स्थान पर एकत्र होने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया था। साथ ही यात्रा संबंधी सख्त पाबंदियां भी लागू की गई थीं। इंडोनेशिया के उपराष्ट्रपति एवं प्रभावशाली मौलवी मारूफ अमीन ने लोगों से घरों में ही परिवार के सदस्यों के साथ नमाज अदा करने की अपील की। वहीं, मलेशिया में भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर लोगों की आवाजाही पर सख्त पाबंदी लगाई गई। साथ ही, लोगों को बकरीद के मौके पर एक-दूसरे के घर जाने पर भी रोक रही। इसके अलावा, केवल मस्जिदों और तय किए गए स्थानों पर ही कुर्बानी करने की अनुमति दी गई।
स्वास्थ्य निदेशक जनरल नूर हिसाम अब्दुल्ला ने मलेशिया की जनता से कोविड उपयुक्त व्यवहार में जरा भी लापरवाही नहीं बरतने की अपील की। मिस्र में एस्सम शाबान त्यौहार की छुट्टियों से पहले ही अपने पैतृक शहर सोहाग चले गए ताकि वह परिवार के साथ बकरीद मना सकें। उन्होंने कहा कि वह मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए मास्क पहनकर गए और नमाज पढ़ने के लिए खुद की चटाई लेकर गए ताकि कोविड बचाव नियमों का पालन सुनिश्चित हो।