US-चीन तनाव के बीच आसियान देशों की बैठक में छाए रहे कमजोर अर्थव्यवस्था और म्यांमार हिंसा के मुद्दे

Edited By Tanuja,Updated: 04 Aug, 2022 11:41 AM

myanmar crisis to dominate asean foreign ministers meeting

अमेरिका और चीन तनाव  के बीच  कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में आयोजित आसियान देशों की बैठक में कमजोर अर्थव्यवस्था और ...

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका और चीन तनाव  के बीच  कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में आयोजित आसियान देशों की बैठक में कमजोर अर्थव्यवस्था और  म्यांमार में हिंसा की समाप्ति के मुद्दे छाए रहे। इस बैठक के जरिए दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के शीर्ष राजनयिकों ने म्यांमार में बढ़ती हिंसा रोकने और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों के हल के लिए प्रयास बुधवार को तेज कर दिये। यह कोविड महामारी के प्रकोप के बाद से दक्षिण एशियाई देशों के संगठन (आसियान) देशों के विदेश मंत्रियों की भौतिक मौजूदगी में पहली बैठक है। कोविड  महामारी ने अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर कर दिया है और कूटनीति को जटिल कर दिया है।

 

यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई है। कंबोडिया के विदेश मंत्री प्राक सोखोन ने बैठक से पहले प्रतिनिधियों से कहा, ‘‘आसियान को विभिन्न प्रकार और स्तरों की चुनौतियों से निपटना होता है, लेकिन उसके समक्ष ऐसी चुनौती कभी उत्पन्न नहीं हुई है जैसी इस वर्ष हुई है। हमारे समक्ष एक ही समय में इस क्षेत्र और दुनिया के लिए इतनी सारी चुनौतियां हैं।'' कंबोडिया वर्तमान में आसियान का अध्यक्ष है, जिसमें म्यांमा के अलावा फिलीपीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, लाओस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और ब्रुनेई भी शामिल हैं।

 

म्यांमार की सेना ने फरवरी 2021 में आंग सान सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्ता से हटा दिया था और उसके बाद उत्पन्न हिंसा को देखते हुए देश को आसियान की बैठकों में कोई भी राजनीतिक प्रतिनिधि नहीं भेजने के लिए कहा गया। उस फैसले के विरोध में, म्यांमा की सैन्य सरकार ने कहा कि वह किसी भी प्रतिनिधि को बिल्कुल भी नहीं भेजेगी तथा वार्ता में भी इसका प्रतिनिधित्व नहीं होगा। इससे देश को शांति के लिए आसियान की पांच-सूत्री योजना का अनुपालन करने के प्रयास जटिल हो गए, जिसका वह काफी हद तक अनदेखा कर रहा था।

 

बैठक के लिए कंबोडिया के प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय के अधिकारी एवं म्यांमार में समूह के विशेष दूत के रूप में भी कार्यरत कुंग फोक ने कहा, ‘‘आप उनसे बात किए बिना म्यांमार में समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन साथ ही हम उनसे यह भी सुनना चाहते हैं कि वे क्या सोचते हैं, वे और कैसे कर सकते हैं, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि पांच सूत्री आम सहमति का कार्यान्वयन जितनी जल्दी हो सके आगे बढ़े।'' सू ची की पार्टी के सत्ता से हटने के बाद म्यांमा में व्यापक शांतिपूर्ण विरोध शुरू हो गया था जिसे हिंसक रूप से दबा दिया गया।

 

प्रदर्शन एक सशस्त्र प्रतिरोध के तौर पर तब्दील हो गया जिसे संयुक्त राष्ट्र के कुछ विशेषज्ञ गृहयुद्ध बता रहे हैं। अन्य बातों के अलावा, पांच सूत्री आम सहमति सभी संबंधित पक्षों के बीच बातचीत और हिंसा को तत्काल समाप्त करने का आह्वान करती है। सैन्य नेतृत्व वाली सरकार ने योजना का पालन करने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है, और पिछले हफ्ते घोषणा की कि उसने न्यायिक फांसी देना फिर से शुरू कर दिया है और चार राजनीतिक कैदियों को फांसी दे दी है। इसको लेकर आसियान देशों सहित वैश्विक आक्रोश उत्पन्न हुआ। मलेशियाई विदेश मंत्री सैफुद्दीन अब्दुल्ला ने इस अधिनियम को ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध'' करार देते हुए निंदा की। नये प्रतिबंधों पर विचार किया जा रहा है और सैफुद्दीन ने बैठकों से पहले कहा कि समूह को अपनी पांच सूत्री सहमति को खत्म करने या संशोधित करने के बारे में सोचना चाहिए।  

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