नासा का दावा, पहली बार ब्लैक होल तोड़ते दिखा तारे

Edited By Yaspal,Updated: 27 Sep, 2019 06:10 PM

nasa claims stars show black hole breaking for the first time

पहली बार शोधकर्ताओं ने सूर्य से 60 लाख गुना वजनी ब्लैक होल द्वारा ब्रह्माण्डीय उथल-पुथल (कॉस्मिक कैटक्लिज्म) के तहत एक तारे को टूटते हुए देखा है। इस प्रक्रिया को ज्वारीय विघटन (टाइडल डिसरप्शन) भी कहते हैं। इस विनाशकारी...

वाशिंगटनः पहली बार शोधकर्ताओं ने सूर्य से 60 लाख गुना वजनी ब्लैक होल द्वारा ब्रह्माण्डीय उथल-पुथल (कॉस्मिक कैटक्लिज्म) के तहत एक तारे को टूटते हुए देखा है। इस प्रक्रिया को ज्वारीय विघटन (टाइडल डिसरप्शन) भी कहते हैं। इस विनाशकारी खगोलीय घटना को नासा के ग्रहीय खोज के लिए भेजे गए उपग्रह ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) और नील गेहरेल्स स्विफ्ट वेधशाला एवं अन्य संयंत्रों की मदद से पहली बार बारीकी से देखा गया।
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नासा ने बताया कि ब्रह्माण्ड में ज्वारीय विघटन बहुत ही विरल है और प्रत्येक 10,000 से 1,00,000 वर्षों में हमारी खुद की आकाशगंगा के बराबर के तारक-पुंज या आकाशगंगा (गैलेक्सी) में एक बार यह घटना होती है। अब तक केवल 40 ऐसी घटना देखी गई हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक कैलिफोर्निया स्थित कार्नेजी वेधशाला के थॉमस होलोइन ने कहा, ‘‘टीईएसएस की मदद से यह देखने में मदद मिली कि एएसएएसएसन-19बीटी नामक घटना वास्तव में कब शुरू हुई जिसे हम पहले कभी नहीं देख सके थे।''
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होलोइन ने कहा, ‘‘ज्वारीय विघटन की जल्द ही पहचान धरती पर स्थित ऑल स्काई ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवा (एएसएएस-एसएन) से की गई और इस वजह से हम शुरूआती कुछ दिन में बहु-तरंगदैर्ध्य को सक्रिय करके अवलोकन में सफल हुए। इस भौतिक घटना के समझने के लिए शुरुआती आंकड़े बहुत महत्वपूर्ण होंगे।'' एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक यह ब्लैक होल ‘2एमएएसएक्स जे 07001137-6602251' आकाशगंगा के बीच में है। यह वोलन्स तारामंडल से करीब 37 करोड़ 50 लाख प्रकाश वर्ष दूर है। कटे हुए तारे का आकार हमारे सूर्य के बराबर हो सकता है।
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नासा के मुताबिक इस ब्रह्माण्डीय घटना की खोज 29 जनवरी को विश्व भर में फैले 20 रोबोटिक दूरबीनों वाले एएसएएस-एसएन नेटवर्क की मदद से की गई जिसका मुख्यालय अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में है। नासा ने बताया कि जब होलोइन को नेटवर्क के दक्षिण अफ्रीका में स्थित उपकरण से घटना की जानकारी मिली तब उन्होंने तुरंत चिली के लास कैम्पनास स्थित दो रोबोटिक दूरबीनों को ब्रह्माण्ड में हो रही इस घटना की वास्तविक स्थान का पता लगाने के काम पर लगाया और सटीक नजर रखने के लिए अन्य एजेंसियों की भी मदद ली।
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टीईएसएस ने पहली बार इस ज्वारीय विघटन को 21 जनवरी को रिकॉर्ड किया था। सह लेखक और नेशनल साइंस फाउंडेशन में स्नातक शोधकर्ता पैट्रिक वॉलेली ने कहा कि एएसएएसएसएन-19बीटी की चमक बहुत स्पष्ट थी जिसकी वजह से इस घटना की ज्वारीय विघटन के रूप में पहचान करने में मदद मिली। होलोइन की टीम ने बताया कि दूरबीन की मदद से जिन पराबैंगनी रोशनी का पता चला उसका तापमान महज कुछ दिनों में 40,000 डिग्री सेल्सियस से गिरकर 20,000 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि पहली बार ज्वारीय विघटन के दौरान इतने कम समय में तापमान गिरावट देखी गई है। हालांकि, सैद्धांतिक रूप से पहले इसकी जानकारी थी।

 

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