नासा को ऐसे मिला चांद का गुलाबी नक्शा, क्या अब चांद पर घर बसाने का सपना हो पाएगा सच?

Edited By Chandan,Updated: 24 Apr, 2020 09:14 PM

nasa got pink moon map dream of building on the moon come true

अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) यानी खगोल विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने नासा और लूनर प्लेनेटरी इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर एक नक्शा तैयार किया है। यह मानचित्र अब तक का पहला जियोलॉजिक मानचित्र है।

नई दिल्ली/डेस्क। नासा चांद पर इंसानों के रहने के लिए घर बनाना चाहता है और इसके लिए नासा अकेला ही काम कर रहा है। इस बीच अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) यानी खगोल विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने नासा और लूनर प्लेनेटरी इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर एक नक्शा तैयार किया है। यह मानचित्र अब तक का पहला जियोलॉजिक मानचित्र  है।

नक्शे की जरूरत
यह नक्शा कई दशकों से चांद की धरती पर किए गए जियोलॉजिकल सर्वे का नतीजा है। इस नक्शे को यूनिफाइड जियोलॉजिकल मैप ऑफ द मून नाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह काम तब से किया जा रहा था जब पहली बार चांद पर, पहले इंसान ने अपना कदम रखा था। हाल ही में भेजे गये चंद्रयान को भेजना भी इसी काम की एक कड़ी था।

नासा चांद पर एक 2024 तक एक बेस कैम्प बनाने की तैयारी कर रहा है। इस योजना को पूरा करने के लिए ही इस नक्शे को बनाया गया है। वैज्ञानिकों की माने तो 6 अपोलो यान के क्षेत्रीय नक़्शे की जानकारी और चांद पर भेजे गए सैटेलाइट मिशन के डेटा की मदद से ही चांद का ये एकीकृत भूगर्भिक(Integrated geologist) मानचित्र तैयार किया गया है।

तीन संस्थानों की देन
बताया जा रहा है कि यह नक्शा यूएसजीएस ने नासा और लूनार प्लैनेटरी इस्टीट्यूट के साथ मिल कर तैयार किया गया है। यह नक्शा रंगो के साथ चांद की सतह का पूरा वास्तविक चित्र की तरह नजर आता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नक्शा नासा के बैस अभियान को पूरा करने में खास मदद करेगा।

बेहद खास है ये मैप
बताया जा रहा है कि इस मैप को बनाने में 6 अपोलो मिशन के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं इसको बनाने में नासा के लूनार ऑर्बिटर के आंकड़ों की मदद ली गई है। इसके अलावा जापानी स्पेस एजेंसी का कागुया और साल 2007 से 2009 तक ली गईं तस्वीरों से भी इसको बनाने में मदद ली गई है। इस रंगीन जियोलॉजिकल मैप की स्केल 1: 5,000,000 है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मैप भविष्य में चांद पर होने वाले दूसरे सर्वे के लिए हेल्प करेगा और एक जरुरी सोर्स बनेगा।

गुलाबी रंग क्यों है खास
इस मैप में खास तौर पर गुलाबी रंग का इस्तेमाल किया गया जिसका बड़ा महत्वपूर्ण कारण है। दरअसल, मैप में दिखाई देने वाले गुलाबी रंग के धब्बे 3।5 अरब साल पुरानी घटनाओं के संकेत हैं।
बताया जाता है कि चांद की सहत पर इंब्रियन काल कहे जाने वाले उस समय बहुत से क्षुद्रग्रह  (Astroids) आकर गिरे थे, जिसकी वजह से वहां काफी क्रेटर बन गये जो आज भी दिखाई देते हैं। इन्ही क्रेटर को मैप में दिखाने के लिए खास इन्हें गुलाबी रंग दिया गया है।

 

 

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