Edited By Tanuja,Updated: 09 Jun, 2019 10:25 AM
नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह पर हुए अनोखे घटनाक्रम का नया अद्बुत वीडियो जारी किया है। नासा वैज्ञानिकों की माने तो..
न्यूयार्कः नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह पर हुए अनोखे घटनाक्रम का नया अद्बुत वीडियो जारी किया है। नासा वैज्ञानिकों की माने तो उल्का बौछार के दौरान चंद्रमा की सतह पर पानी गिर रहा है। नासा ने एक वीडियो के जरिए अपनी ये बात ट्वीट की है। इसकी पुष्टि करने के लिए, नासा द्वारा चार मिनट का एक वीडियो जारी किया गया है। भारत का चंद्रयान 1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2008 में शुरू किया गया पहला चंद्र अभियान था।
यह पहला अंतरिक्ष यान था जिसने 2018 में चंद्रमा पर पानी की खोज की थी। इसरो के बयान के मुताबिक तब चंद्रमा की सतह पर जमे हुए पानी के सबूत मिले थे। वीडियो के जानकार कहते हैं, "चंद्रमा की सतह पर पानी की पहली खोज 2008 में भारतीय मिशन चंद्रयान 1 द्वारा की गई थी, जिसमें चंद्र सतह पर फैले हाइड्रॉक्सिल अणुओं का पता चला था जो ध्रुव पर केंद्रित था। सबूत है कि चंद्रमा में पानी (H2O) और हाइड्रॉक्सिल है लेकिन पानी की उत्पत्ति के बारे में बहस जारी है।" नासा का कहना है कि चंद्रमा की सतह बहुत सूखी है।
यह मिट्टी की तुलना में बहुत अधिक सूखने वाली है। यह इतना सूखा है कि 16 औंस पानी इकट्ठा करने के लिए एक मैट्रिक टन से ज्यादा रेजोलिथ को संसाधित करना होगा। 25 सितंबर 2009 को, इसरो ने चंद्रमा पर पानी की खोज की थी, लेकिन इसे तब तक सार्वजनिक नहीं किया गया जब तक कि नासा ने इसकी पुष्टि नहीं की।
2009 में चंद्र अभियान शुरू होने के ठीक नौ महीने बाद, चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान ने कुछ तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना शुरू किया और रेडियो सिग्नल भेजना बंद कर दिया, इसके बाद संपर्क भी टूट गया। भविष्यवाणी की गई थी कि 2012 के अंत में चंद्रमा की सतह पर यान दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा लेकिन 2016 तक यह कक्षा में रहा। अब चंद्रयान -2, भारत का दूसरा चंद्र मिशन, जुलाई 2019 में लांच होने की उम्मीद है और सितंबर 2019 में चंद्रमा पर उतरेगा।