Nepal Crisis: प्रधानमंत्री ओली को एक और झटका, 'डील' से मुकर गए प्रचंड

Edited By Tanuja,Updated: 21 Jul, 2020 11:10 AM

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चीन की चालबाजी में फंसकर नेपाल में राजनीतिक घमासान बढ़ता जा रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के लिए अपनी कुर्सी बचाना मुश्किल ...

काठमांडूः चीन की चालबाजी में फंसे नेपाल में राजनीतिक घमासान बढ़ता जा रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के लिए अपनी कुर्सी बचाना मुश्किल होता जा रहा है और आए दिन बड़े झटकों का सामना करना पड़ रहा है। ओली के साथ 'डील' के बाद पार्टी के अध्‍यक्ष पुष्‍प कमल दहल प्रचंड ने भी उनको झटका दिया है। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता माधव कुमार के चौतरफा घेरने के बाद प्रचंड ने पार्टी के आम सभा की बैठक जल्‍द बुलाने की संभावना को खारिज कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि नवंबर-दिसंबर में पार्टी के आम सभा की बैठक संभव नहीं है।

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प्रचंड का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब ओली अपनी कुर्सी कुछ महीने और बचाने के लिए नवंबर-दिसंबर में पार्टी के आम सभा की बैठक बुलाने पर जोर दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच एक अंतरिम डील भी हुई थी और कहा गया था कि पार्टी की आम सभा की बैठक नवंबर/दिसंबर में बुलाई जाएगी। वहीं ओली प्रचंड को पार्टी अध्‍यक्ष के लिए समर्थन देंगे। इस डील से अब और ज्‍यादा विवाद बढ़ गया है। नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के वरिष्‍ठ नेता माधव कुमार नेपाल ने पर्दे के पीछे से हुए इस समझौते पर कड़ी आपत्ति जताई थी। माधव कुमार नेपाल के विरोध के बाद प्रचंड ने सफाई दी है।

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स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्‍य मैत्रिका यादव ने सोमवार को हुई मीटिंग में प्रचंड के हवाले से कहा, 'बिना तैयारी के आम सभा की बैठक बुलाना गलत विचार है। यह संभव नहीं है क्‍योंकि पार्टी की विचारधारा समेत कई मुद्दों का समाधान करने की जरूरत है।' यादव ने बताया कि ओली ने पार्टी के आम सभा की बैठक बुलाने का प्रस्‍ताव दिया है लेकिन एक शर्त रखी है कि पीपल्‍स मल्‍टी पार्टी डमोक्रेसी को पार्टी की विचारधारा के रूप में अपनाया जाए। काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को ओली और प्रचंड के बीच राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मौजूदगी में समझौते पर सहमति बनी थी।

 

उधर, रविवार को प्रचंड विरोधी माधव कुमार नेपाल खेमे को मनाने में जुटे रहे। माधव कुमार के खेमे का मानना है कि ओली के इस्‍तीफे की मांग छोड़कर प्रचंड ने उन्‍हें एक बार फिर से धोखा दिया है। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेताओं के मुताबिक प्रचंड ने शनिवार को हुई बैठक में ओली के इस्‍तीफे के मुद्दे को ही नहीं उठाया। रव‍िवार को माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल समेत पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेता प्रचंड के घर पहुंचे और उन्‍होंने ओली के साथ हुए समझौते पर कई तीखे सवाल उठाए।

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इसके बाद दबाव में आए प्रचंड ने पार्टी नेताओं को सफाई देते कहा कि नवंबर में आम सभा की बैठक को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है। यह केवल एक प्रस्‍ताव था। एनसीपी के प्रवक्‍ता नारायण काजी श्रेष्‍ठ ने कहा, 'लेकिन प्रचंड ने कहा कि आम सभा की बैठक के प्रस्‍ताव को लेकर भ्रम है।' कुछ सप्‍ताह पहले तक प्रचंड का खेमा माधव कुमार नेपाल और खनल की मदद से ओली के प्रधानमंत्री और पार्टी अध्‍यक्ष के पद से इस्‍तीफे की मांग के लिए दिन-रात एक किए हुए था। स्‍टैडिंग कमिटी के 44 में से 30 सदस्‍य ओली के खिलाफ थे।

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