नेपाल सरकार मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी में: देउबा

Edited By shukdev,Updated: 13 May, 2019 06:51 PM

nepal government preparing to crack the media deuba

नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस(एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कहा है कि सरकार मीडिया परिषद विधेयक के जरिए प्रेस की आजादी तथा पत्रकारों की स्वतंत्रता पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। देउबा ने ललितपुर के सानेपा स्थित पार्टी मुख्यालय...

काठमांडू: नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस(एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कहा है कि सरकार मीडिया परिषद विधेयक के जरिए प्रेस की आजादी तथा पत्रकारों की स्वतंत्रता पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। देउबा ने ललितपुर के सानेपा स्थित पार्टी मुख्यालय में रविवार को कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही मानवाधिकारों, आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिमायती रही है और प्रेस की आजादी पर किसी तरह के कुठाराघात को उनकी पार्टी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी प्रेस की स्वतंत्रता को कम करने के प्रयासों के विरुद्ध संसद एवं सड़क दोनों जगह कड़ा विरोध करेगी। नेपाली अखबार हिमालयन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने नौ मई को संसद में नेपाली मीडिया परिषद के गठन के संबंध में एक नया विधेयक पंजीकृत कराया है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को धूमिल करने का दोषी पाए जाने पर मीडिया संस्थानों, पत्रकारों, प्रकाशकों तथा संपादको पर 25 हजार रुपए से लेकर दस लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

इसके अलावा पत्रकारों एवं संपादकों के प्रेस पास रद्द करने और मीडिया संस्थान की ग्रेड को कम करने सहित कई अन्य दंडात्मक प्रावधान भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी लोकतंत्र का सबसे अहम हिस्सा है और उनकी पार्टी हमेशा पत्रकारों के साथ रही है तथा जब भी पत्रकारों को हमारी आवश्यकता होगी हम हमेशा उनके साथ रहेंगे। उनकी पार्टी के अनुसार नये विधेयक में संविधान के प्रस्तावना में पूर्ण प्रेस स्वतंत्रता की गारंटी के प्रतिकूल है और इस विधेयक में प्रेस परिषद के लिए स्वायत्तशासी एवं अर्द्धन्यायिक प्रकृति की बात नहीं कही गई है।

नेपाली कांग्रेस के मुख्य सचेतक बाल कृष्ण खंड और प्रवक्ता विश्व प्रकाश शर्मा ने कहा कि सरकार को विधेयक को संशोधित करना होगा और संविधान के अनुरूप बनाना होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के अनुसार परिषद के अध्यक्ष को सूचना प्रसारण मंत्री की इच्छा से काम करना होगा और अगर मंत्री काम से संतुष्ट नहीं होंगे तो सरकार उन्हें कभी भी हटा सकेगी। उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि सरकार प्रेस की आजादी पर नकेल कस कर आखिर किस प्रकार के लोकतंत्र की स्थापना कर रही है।

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