इटली के नए प्रधानमंत्री के आप्रवासियों को लेकर  इरादे खतरनाक

Edited By Tanuja,Updated: 06 Jun, 2018 05:39 PM

new italian pm vow to create jobs deport migrants

इटली के सांस्कृतिक ख़ज़ाने के नगीने जैसे लियोनार्डो दा विंची की कलाकृतियां, फेडरिको फेलीनी का सिनेमा, वेनिस और रोम का वास्तुशिल्प, पुचीनी और वर्दी का ओपेरा और समृद्ध लोकसंगीत  दुनिया भर में प्रसिद्ध है  लेकिन इटली को अस्थिर राजनीतिक इतिहास के लिए भी...

रोमः इटली के सांस्कृतिक ख़ज़ाने के नगीने जैसे लियोनार्डो दा विंची की कलाकृतियां, फेडरिको फेलीनी का सिनेमा, वेनिस और रोम का वास्तुशिल्प, पुचीनी और वर्दी का ओपेरा और समृद्ध लोकसंगीत  दुनिया भर में प्रसिद्ध है  लेकिन इटली को अस्थिर राजनीतिक इतिहास के लिए भी जाना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इटली में अब तक 66 सरकारें बदल चुकी हैं।

मार्च 2018 में हुए चुनावों के बाद लगभग तीन महीने की अस्थिरता से गुज़रकर इटली को आख़िर एक नया प्रधानमंत्री मिला है  लेकिन क़ानून के प्रोफेसर जुसेप कोंते के लिए यह चुनौती इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि वह मजबूरी में साथ आए दो बेमेल विचार वाले दलों की गठबंधन सरकार के मुखिया हैं। यह गठबंधन है व्यवस्था विरोधी- फाइव स्टार मूवमेंट पार्टी और धुर दक्षिणपंथी पार्टी लेगा यानी नॉर्थ लीग के बीच। सरकार में साझेदारी के तहत गृह मंत्री का पद लीग पार्टी के नेता मात्तेओ सलवीनी को मिला है और पद संभालते ही उन्होंने अपने  आप्रवासी विरोधी खतरनाक  इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। 
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 इटली की भौगोलिक स्थिति ये है कि उसका दक्षिणी सिरा अफ्रीकी महाद्वीप से महज़ 230 किलोमीटर दूर है इसलिए बड़ी संख्या में अफ्रीका से आप्रवासी इटली के दक्षिणी द्वार सिसिली पहुंचते हैं। इसीलिए पद संभालने के बाद मात्तेओ सलवीनी अपना संदेश साफ करने सबसे पहले सिसिली पहुंचे  जहां उनका स्वागत भी हुआ और थोड़ा विरोध भी।मात्तेओ की लीग पार्टी मानती है कि इन आप्रवासियों के आने से इटली में रोज़गार की स्थिति बदतर हुई है।

सिसिली में उन्होंने कहा, "ज़िंदग़ियां बचाने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा ये है कि लोगों को नावों पर सवार होने से रोका जाए।मैं यूरोपीय सहयोगियों और उत्तरी अफ्रीकी देशों के साथ इस पर काम करूंगा, ताकि उन हज़ारों लोगों का ये भ्रम टूटे कि इटली में सबके लिए घर और नौकरी है। यहां इतालवी लोगों के लिए भी घर और नौकरियां नहीं हैं।"
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मात्तेओ का मत ये भी है कि सिर्फ नए आप्रवासियों को रोकने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जो पहले आ चुके हैं, उन्हें जल्द वापस भी भेजना होगा। ये बात अगर बयान से आगे बढ़ती है तो इटली के रुख़ में अब तक के रुझान में यह एक बड़ा बदलाव होगा। फ्रांस में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार वैजू नरावने इसके लिए कुछ हद तक यूरोप को भी ज़िम्मेदार मानती हैं।

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