Edited By Isha,Updated: 12 Jul, 2018 09:55 AM
अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया खोजी है जो यह पता लगाने में मदद करेगी कि कैंसर के किसी मरीज पर इम्यूनोथैरेपी का असर होगा या नहीं।‘सेल रिपोट्रस’’ में प्रकाशित एक अध्ययनअनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया खोजी है जो यह पता लगाने में मदद करेगी कि...
लॉस एंजिलिसः अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया खोजी है जो यह पता लगाने में मदद करेगी कि कैंसर के किसी मरीज पर इम्यूनोथैरेपी का असर होगा या नहीं।‘सेल रिपोट्रस’’ में प्रकाशित एक अध्ययन में यह यह जानकारी दी गई है। आमतौर पर प्रतिरक्षी तंत्र ट्यूमर की पहचान खतरा पैदा करने वाले तत्वों के तौर पर कर लेता है । इसके बाद प्रतिरक्षी कोशिकाएं (टी कोशिकाएं) ऐसे तत्वों को खोज कर खत्म करती हैं।
बहरहाल, ट्यूमर कोशिकाएं पीडी - एल 1 नामक प्रोटीन का प्रयोग के जरिये टी कोशिकाओं को भ्रमित कर उन्हें काम नहीं करने देतीं और उनसे बच निकलती हैं। पीडी - एल 1 ट्यूमर कोशिकाओं को बचाने के लिए पीडी -1 नामक च्च् आणविक अवरोध ’’ सक्रिय कर टी कोशिकाओं को रोकता है। एक महत्वपूर्ण उपचार के जरिए पीडी - ए 1 को रोकने के लिए प्रतिरक्षी तैयार किए गए जो कुछ कैंसर मरीजों के लिए लाभकारी साबित हुए।
कुछ मरीजों पर इसका असर नहीं हुआ और इसका कारण पता नहीं चल पाया है। अमरीका की यूनिर्विसटी ऑफ कैलिफोॢनया सैन डिएगो और चीन के नानजिंग मेडिकल स्कूल के अनुसंधानकर्ताओं ने इस संबंध में कुछ सुराग जुटाए हैं। अध्ययन में पाया गया कि जिन मरीजों में पीडी -1 का स्तर बहुत ज्यादा था वह इस थैरेपी के प्रति प्रतिक्रिया नहीं देते। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अब इन नए परिणामों की मदद से नई थैरेपी इजाद करने में मदद मिलेगी।