Edited By Tanuja,Updated: 20 Dec, 2018 11:13 AM
आधुनिक दौर में बदलते लाइफस्टाइल के चलते रातों को देर तक जागना जिंदगी और देर से उठना जिंदगी का हिस्सा बन गया है । समय की कमी की के चलते लोग पारम्परिक खाने को न बना कर फास्ट फूड खाना पसंद करने लगे हैं...
सिडनी/लंदन: आधुनिक दौर में बदलते लाइफस्टाइल के चलते रातों को देर तक जागना जिंदगी और देर से उठना जिंदगी का हिस्सा बन गया है । समय की कमी की के चलते लोग पारम्परिक खाने को न बना कर फास्ट फूड खाना पसंद करने लगे हैं। यही वजह है कि घर में खाना बनाने की जगह बाहर से ऑर्डर करना, जंक फूड खाना आदि लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में नई जेनरेशन जंक फूड को ही अपना असली फूड मान चुकी है। बर्गर, पिज़्ज़ा, नूड्ल्स लोगं की पहली पसंद बने हुए हैं। लेकिन फास्ट फूड, केक और परिष्कृत मांस के सेवन से अवसाद का खतरा तेजी से बढ़ सकता है। यह बात एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि कोलैस्ट्रोल, वसा और कार्बोहाइड्रेट ज्यादा मात्रा वाले खाद्य पदार्थ के सेवन से अवसाद का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने अवसाद और जलन पैदा करने वाले आहारों के बीच संबंध पर आधारित 11 अध्ययनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और मध्य पूर्व के 16 से 72 आयु वर्ग के अलग-अलग नस्ल के एक लाख लोगों पर किया गया है। पत्रिका ‘क्लीनीकल न्यूट्रीशन’ में छपे इस अध्ययन के नतीजों में साफ है कि इससे हर उम्र के स्त्री-पुरुषों को अवसाद का खतरा है।
ब्रिटेन की मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के अनुंधानकर्ताओं ने पाया है कि जलन पैदा करने वाले आहार जिनमें कोलेस्ट्रोल, वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है, उनके सेवन से अवसाद का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। सभी अध्ययनों के दौरान प्रतिभागियों में अवसाद और अवसाद के लक्षण पाए गए । सभी अध्ययनों में जलन पैदा करने वाला आहार लेने वालों में अवसाद और इसके लक्षण का खतरा करीब डेढ़ गुणा ज्यादा पाया गया।पत्रिका क्लीनीकल न्यूट्रीशन में छपे अध्ययन के नतीजों में साफ है कि सभी आयु वर्ग और लिंग के लोगों के बीच अवसाद का खतरा है।