Edited By vasudha,Updated: 07 Oct, 2020 01:50 PM
मेक्सिको कोरोना वायरस महामारी ही नहीं बल्कि मोटापे से भी लड़ रहा है। मेक्सिको में 70 फीसदी लोगों का वजन औसत से ज्यादा है। मेक्सिको दुनिया में सॉफ्ट ड्रिंक्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। वहां लोग पानी कम कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं क्योंकि वह सस्ती...
इंटरनेशनल डेस्क: मेक्सिको कोरोना वायरस महामारी ही नहीं बल्कि मोटापे से भी लड़ रहा है। मेक्सिको में 70 फीसदी लोगों का वजन औसत से ज्यादा है। मेक्सिको दुनिया में सॉफ्ट ड्रिंक्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। वहां लोग पानी कम कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं क्योंकि वह सस्ती है। ऐसे में मोटापा देश में महामारी की शक्ल लेता दिख रहा है।
भारत की तरह मेक्सिको में भी सड़कों के किनारे ठेलों पर खूब खाना खाया जाता है लेकिन रोजाना ऐसे खाने से सेहत को नुक्सान हो रहा है। असल में कामकाज की वजह से कई बार युवाओं को खाना बनाने का वक्त नहीं मिलता। खाना खरीदना उन्हें ज्यादा आसान विकल्प लगता है। मेक्सिको के पारंपरिक खाने में वैसे ही खूब तेल, चीनी और नमक होता है और ऊपर से यहां फास्ट फूड का भी बहुत ज्यादा चलन है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अनुसार मेक्सिको में 3 में से एक बच्चा या किशोर मोटापे से ग्रस्त है और 10 में से 7 वयस्कोंं का वजन औसत से ज्यादा पाया गया है। इसके अलावा लाखों लोग शूगर के मरीज हैं।
सरकार की पहल
मोटोपे पर नियंत्रण पाने के लिए यहां की सरकार अब पैकेजिंग नियमों में बदलाव करने जा रही है। फास्ट फूड के लिए आकर्षित करने वाले कार्टून, मशहूर हस्तियों और पालतू जानवरों के चित्र पैकेजिंग से हटाए जाएंगे तथा उनकी जगह चेतावनी वाले लेबल लगाए जाएंगे। हालांकि इससे पहले भी सरकार कई जागरूकता अभियान चला चुकी है लेकिन फिर भी मोटापे को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हुई है।