चीन के इस प्रौजैक्ट से बढ़ेगी आर्थिक अस्थिरता !

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2017 01:30 PM

obor will unstable economic coordination

चीन और पाकिस्तान के साथ वन बेल्ट-वन रोड समेत कई मुद्दों को लेकर भारत से रिश्ते जटिल होते जा रहे हैं...

बीजिंगः चीन और पाकिस्तान के साथ वन बेल्ट-वन रोड समेत कई मुद्दों को लेकर भारत से रिश्ते जटिल होते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट में शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) में पाकिस्तान और भारत के शामिल होने को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि सीपीईसी या चीन के वन बेल्ड-वन रोड प्रोजैक्ट आर्थिक समन्वय स्थापित करने की बजाए अस्थिरता को बढ़ावा देगा।

इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आई.डी.एस.ए.) से जुड़े विशेषज्ञ पी शतोब्दन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के एससीओ में शामिल होने के बीच इस मंच पर विविध प्रकार के हितों के टकराव, आतंकवाद से मुकाबला करने के वैश्विक मुद्दे समेत कई अन्य विषय सामने आएंगे। ऐसे में कई अवसरों पर भारत का रूख अन्य देशों के अनुरूप नहीं हो पाएगा और झुकाव चीन की ओर भी देखने को मिल सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जे.ई.एम. सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करने, परमाणु आपूतर्किर्ता समूह (एन.एस.जी.) में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर चीन के रूख को लेकर संदेह गहरा हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब रूस के साथ भारत की पारंपरिक साझेदारी भी अफगानिस्तान जैसे मुद्दों पर पटरी से उतरती प्रतीत हो रही है। चीन भी अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान, तजाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ क्षेत्रीय समूह बना रहा है।

भारत ने वन बेल्ट-वन रोड के मुद्दे को सम्प्रभुता के विषय से जोड़ते हुए इस बारे में आयोजित सम्मेलन का बहिष्कार किया है लेकिन चतुर्भुज परिवहन पारगमन समझौते (QTTA) पर चीन के साथ 1995 में पाकिस्तान समेत किगर्स्तिान और कजाख्स्तान ने काराकोरम राजमार्ग के उपयोग के संबंध में हस्ताक्षर किया था। आई.डी.एस.ए. से जुड़े विशेषज्ञ शतोब्दन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर संयुक्त राष्ट की एक रिपोर्ट को गंभीरता से लें तब चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा इस क्षेत्र में आर्थिक समन्वय की बजाए अस्थिरता पैदा करने का काम करेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि शंघाई सहयोग संगठन में भारत के शामिल होने से कोई नाटकीय बदलाव नहीं आएगा हालांकि भारत इसका लाभ आतंकवाद निरोधक ढांचे, आतंकी संगठन से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने, मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े विषयों और साइबर सुरक्षा में कर सकता है। 

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