Edited By Tanuja,Updated: 03 Feb, 2021 02:00 PM
पाकिस्तान में चीन की दखलअंदाजी के खिलाफ खुलकर आवाज उठने लगी है। सिंध, बलोचिस्तान में चीन की परियोजनाओं के विरोध के बाद अब पाक की संसद में विवादित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के खिलाफ आवाज बुलंद की गई...
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में चीन की दखलअंदाजी के खिलाफ खुलकर आवाज उठने लगी है। सिंध, बलोचिस्तान में चीन की परियोजनाओं के विरोध के बाद अब पाक की संसद में विवादित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के खिलाफ आवाज बुलंद की गई। पाक की संसद में CPEC अथॉरिटी सहित तीन विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान जमकर हंगामा हुआ। विपक्षियों का आरोप है कि इस योजना पर सरकार किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दे रही है।
विधेयक के पारित होने के दौरान जब विपक्षी सदस्यों को इस पर बोलने का अवसर नहीं दिया गया तो हंगामा शुरू हो गया। सदस्य नेशनल असेंबली स्पीकर असद कैसर की पीठ के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे। रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा को इस योजना का चेयरमैन बनाने का भी विरोध हो रहा है। CPEC चीन का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जो गुलाम कश्मीर और अक्साई चिन जैसे विवादित इलाकों से होकर गुजरता है।
भारत लगातार इस प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है, क्योंकि यह गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है। मुख्य तौर पर यह एक हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो चीन के काशगर प्रांत को पाकिस्तान के ग्वारदर पोर्ट से जोड़ेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में बंदरगाह, हाइवे, मोटरवे, रेलवे, एयरपोर्ट और पावर प्लांट के साथ ही दूसरे इंफ्रास्क्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को विकसित किया जाएगा।
संसद सदस्यों ने महंगाई का भी मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि देश में बिजली और पेट्रोल के बढ़ते दामों से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। CPEC अथॉरिटी विधेयक की अवधि समाप्त हो जाने के बाद सरकार ने इसको 120 दिन के लिए बढ़ा दिया था। इसकी अवधि पिछले साल मई में ही समाप्त हो गई थी। तबसे विपक्षियों के विरोध के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो पा रहा था। विरोधियों का आरोप है कि योजना में जो भी सवाल खड़े हो रहे हैं, उसमें सरकार के जवाब से वे संतुष्ट नहीं हैं।